रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मंगलवार को राज्य की अदालतों की सुरक्षा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान भवन निर्माण सचिव कोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने भवन निर्माण सचिव को फटकार लगाई। कोर्ट ने मौखिक कहा कि जब प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज, घाटशिला ने एक जूनियर इंजीनियर के खिलाफ कंप्लेन किया था तो उसके खिलाफ तुरंत एक्शन में क्यों नहीं लिया गया।

उनका ट्रांसफर तुरंत क्यों नहीं किया गया। इस पर भवन निर्माण सचिव की ओर से बताया गया कि उसे बीते दिनों ट्रांसफर कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट इस विषय पर सख्त हुआ है तब आनन-फानन में कार्रवाई की गई है। चार माह पहले उस जूनियर इंजीनियर के खिलाफ शिकायत की गई थी लेकिन एक्शन लेने में इतना समय क्यों लगाया गया।

इस पर कोर्ट को बताया गया कि ट्रांसफर करने से मैन पावर की कमी होती है, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ट्रांसफर के बाद नए लोग आते हैं। ऐसे में मैन पावर की कमी कैसे हो सकती है? भवन निर्माण विभाग में तीन साल से अधिक समय से अभियंता एक जगह पर जमे हैं, उनका ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने मौखिक कहा कि प्रतीत होता है कि जूनियर इंजीनियर बादशाह बन बैठे हैं, वे डिस्ट्रिक्ट जज की नहीं सुनते हैं। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने पैरवी की। कोर्ट ने गिरिडीह सिविल कोर्ट के भवन के बारे में भी पूछा। साथ ही कहा कि गिरिडीह के भी एक अभियंता ने सटीक जवाब नहीं दिया था उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई।

कोर्ट को बताया गया कि अदालतों और न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में 1900 जवान पदस्थापित हैं। अदालतों की सुरक्षा के लिए सेना से रिटायर सैनिकों की सेवा के साथ जैप के जवानों के पदस्थापन पर विचार किया जा रहा है। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है। रांची सिविल कोर्ट में सीसीटीवी लगा दिए गए हैं। अदालतों की बाउंड्री वाल सहित सीसीटीवी लगाने की योजना है।

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