रांची। झारखंड के पूर्व मंत्री सह बोकारो के पूर्व विधायक 81 वर्षीय समरेश सिंह का बोकारो स्थित आवास में निधन हो गया। गुरूवार सुबह करीब सात बजे उन्होंने सेक्टर चार स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 12 तारीख को अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें पहले बोकारो बीजीएच और फिर रांची स्थित मेदांता अस्पताल ले जाया गया था। एक दिन पूर्व ही उन्हें रांची के मेदांता से बोकारो लाया गया था। गत मंगलवार को डॉक्टरों ने उनकी हालत में सुधार होते हुए देख डिस्चार्ज कर दिया था, जिसके बाद वह घर पर ही थे।

 

समरेश सिंह का राजनीतिक सफर

बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य थे। लोग इन्हें दादा भी कहते हैं। मुंबई में 1980 में आयोजित भाजपा के प्रथम अधिवेशन में कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव इन्हीं का था, जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी। दरअसल, समरेश को 1977 के चुनाव में कमल निशान पर ही जीत मिली थी। बाद में समरेश भाजपा से 1985 और 1990 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए। इससे पहले 1985 में समरेश सिंह ने में इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर भाजपा में विद्रोह कर 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय भाजपा में कर दिया गया।

 

वर्ष 1995 में समरेश सिंह ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़े। फिर 2009 में झाविमो के टिकट पर विधायक बने। बाद में भाजपा में शामिल हो गये, लेकिन 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े थे, जिसमें उन्हें हार मिली थी।

उल्लेखनीय है कि बोकारो जिले के ही चंदनकियारी प्रखंड के लालपुर पंचायत स्थित देवलटांड़ गांव में समरेश सिंह का पैतृक आवास है। समरेश सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह नौ बजे उनके पैतृक गांव चंदनक्यारी में किया जाएगा। वहीं, उनके आवास पर लोगों का पहुंचना भी जारी हो गया है। पूर्व मंत्री समरेश सिंह की पत्नी भारती सिंह का देहांत 28 अगस्त 2017 को ही हो चुका था। परिजनों में समरेश सिंह के दोनों बेटे सिद्धार्थ सिंह और संग्राम सिंह तथा पुत्रवधु श्वेता सिंह और परिंदा सिंह हैं। उनके बड़े पुत्र राणा प्रताप भी अमेरिका से पहुंच चुके हैं।

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