रांची : लॉकडाउन की वजह से लंबे अरसे तक बंद रहने वाली शराब दुकानें खुलीं, तो मयखाने रोशन हुए. लेकिन, गुरुवार से एक बार फिर मयखानों पर ताले लटक गये हैं. इसकी वजह कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं है. सरकार की गाइडलाइन भी नहीं. इस बार झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने खुद दुकानों को बंद करने का एलान किया है.
संघ ने 15 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है और अपनी दुकानें बंद कर दी हैं. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार के उत्पाद कर बढ़ाये जाने का विरोध किया है. संघ का कहना है कि शराब की बिक्री में 40 से 50 प्रतिशत तक गिरावट आ गयी है. इसकी वजह से अनुज्ञप्तिधारी शराब दुकानदारों के लिए दुकान चलाना मुश्किल हो गया है.
दुकानदारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. मुश्किल इस कदर बढ़ गयी है कि वे हर महीने पर्याप्त स्टॉक नहीं खरीद पा रहे हैं. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने मांग की है कि वैट के स्तर को वापस 75 फीसदी से घटाकर 50 किया जाये. साथ ही ड्यूटी चार्ज को 5.0 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत किया जाये, जैसा कि मई-जून में किया गया था. उस वक्त माल के उठाव और बिक्री के आधार पर ही ड्यूटी चार्ज किया जा रहा था.
इस संबंध में बुधवार को संघ के सदस्यों ने उत्पाद विभाग के सचिव से मुलाकात की. उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों से अवगत कराया. खुदरा शराब विक्रेताओं ने सचिव को बताया कि सरकार द्वारा जो स्पेशल एक्साइज ड्यूटी लगाया गया है, उसे एक्साइज ड्यूटी में ही समायोजित कर दिया गया. इसकी वजह से दुकानदारों को ज्यादा पूंजी लगानी पड़ रही है. कोरोना संकट के बीच इतना पूंजी निवेश कर पाना शराब विक्रेताओं के लिए संभव नहीं है.
संघ ने मांग की है कि स्पेशल एक्साइज ड्यूटी और विलंब शुल्क में हुई वृद्धि को घटाया जाये. साथ ही जेएसबीएल की ओर से सभी ब्रांड की शराब समय पर उपलब्ध कराया जाये. संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने जो यह कदम उठाया है, उसकी वजह से शराब के कारोबार से जुड़े लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. राज्य भर के खुदरा शराब कारोबारी आर्थिक संकट में आ गये हैं.
संघ ने दलील दी है कि अनलॉक 5.0 में भी झारखंड सरकार ने कई आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति नहीं दी है. फलस्वरूप शराब विक्रेताओं को काफी नुकसान हो रहा है. व्यापारिक गतिविधियों में शिथिलता के कारण शराब की बिक्री अभी कम हो रही है. इसी दौरान सरकार ने उन पर स्पेशल टैक्स का बोझ लाद दिया है. इसने उनकी समस्या दोगुनी कर दी है. शराब कारोबारियों ने हालांकि उम्मीद जतायी है कि उत्पाद विभाग जल्द ही इस पर सकारात्मक फैसला लेगा.