रांची। झारखंड विधानसभा में गुरुवार को दल बदल अधिनियम को लेकर एक बड़ा फैसला हुआ। इसमें दल परिवर्तन पर सदस्यता से निरहर्ता के नियम-2006 में संशोधन प्रस्ताव पर सदन की सहमति मिल गई। अब कोई भी व्यक्ति स्पीकर के न्यायाधिकरण में दल बदल संबंधित याचिका दायर कर सकता है। इस संबंध में विधानसभा की विशेष समिति ने दल बदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष के स्वत: संज्ञान की शक्ति को हटाने की सिफारिश की थी।
समिति की इस अनुशंसा के आधार पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक स्टीफन मरांडी ने इससे जुड़ा प्रस्ताव सभा पटल पर रखा था। इस पर सदस्यों से 14 मार्च तक आपत्ति मांगी गई थी। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्णय के आलोक में किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में फैसला दिया था कि दल बदल अधिनियम के अधीन कोई बाहरी इस विषय को उठा सकता है।
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झारखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा है, जो इस निर्णय के आलोक में नियमावली में संशोधन कर रही है। पूर्व में स्पीकर के पास यह अधिकार था कि दल बदल मामले में स्वत: संज्ञान ले सकते थे। इस नए संशोधन में इस व्यवस्था को विलोपित कर दिया गया है।
हटाया गया मुख्यमंत्री प्रश्नकाल, धारा 52 को भी किया गया विलोपित
झारखंड विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली से मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को हटा दिया गया है। पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई विधानसभा की नियम समिति की बैठक में यह तय हुआ कि कार्य संचालन नियमावली की धारा 52 को हटाया जाय। धारा 52 में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल का प्रावधान था। समिति के सदस्य और झामुमो के विधायक दीपक बिरुआ ने इस अनुशंसा को सदन के पटल पर रखा था। इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने नियम समिति की अनुशंसा पर सभी विधायकों से 14 मार्च तक संशोधन मांगा था। विधायकों से मिले सुझाव के बाद गुरुवार को नियम समिति की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया, जो ध्वनिमत से पारित हो गया। अब इस रिपोर्ट के पारित होने से झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल नहीं होगा।
इसके अलावा नियमावली में शून्यकाल की संख्या 15 से बढ़कर 25 लेने का प्रावधान किया गया है। प्रश्नकाल को लेकर भी नियमावली में संशोधन किया गया है। अब 14 दिन पहले प्रश्न डालने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। इससे पहले कई विधायकों ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को नहीं हटाने का संशोधन दिया था। विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी कई विधायकों ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को नहीं हटाने का संशोधन सभा सचिवालय को दिया था। माले के विधायक विनोद सिंह ने इस बात की मांग की की नियम समिति की रिपोर्ट को सदन से पारित कराने से पहले विधायकों ने जो संशोधन दिया है, उसे भी सभा के पटल पर रखा जाना चाहिए।
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