रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष २०२५ में स्थापना के सौ वर्ष पूरा करेगा. इस निमित्त हमने झारखंड में भी दीर्घकालीन योजनाये ली है.पुरे भारत में अभी कुल ३८३९० स्थानों पर कुल ६०९२९ शाखाए चल रही है. वहीं झारखण्ड में संघ कार्य दृष्टि से इसके भौगोलिक क्षेत्र को २४ जिले और ४ महानगर में विभक्त किया गया है.जो सभी कार्य युक्त है.कुल २५८ खंड है जिनमे २१२ में अपना काम एव २४ सम्पर्क युक्त है.वहीं ८९ नगरों में सभी नगर कार्य युक्त हैं आज पुरे प्रांत में कुल ४९४ स्थानों पर ४९१ विद्यार्थी शाखा २८५ व्यवसाई शाखा यानी कुल ७७६ शाखा दैन्दिन चलती है.

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साप्ताहिक मिलन की संख्या ३२० है जबकि ७६ मासिक मंडली भी चल रही है.अपनी कुल ७७६ शाखाओं में १३९ उपक्रमशील शाखा है जिनके माध्यम से समाज के लिए कोई न कोई सेवा कार्य चल रहा है.अगर हम सेवा बस्ती की बात करें तो आज ३१२ सेवा बस्ती हैं जिनमे से ११६ में हमारी शाखा चल रही है जबकि १२१ में शिक्षा,स्वास्थ्य,स्वाबलंबन जैसे कोई न कोई आयाम वहां कार्य कर रहे है.उपरोक्त बाते आज पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुए संघ के प्रांत कार्यवाह श्री संजय कुमार ने बताया।आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि-अपना देश इस वर्ष स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है।

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भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों के सहभाग से हुआ सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन था।इस उपनिवेशवादी आक्रमण का व्यापारिक हितों के साथ भारत को राजनैतिक- साम्राज्यवादी और धार्मिक रूप से गुलाम बनाने का निश्चित उद्देश्य था। यह राष्ट्रीय आन्दोलन सार्वदेशिक और सर्वसमावेशी था।हम सब सौभग्यशाली है की उस स्व के अधिकार के लिए झारखंड के बलिदानी सपूतों ने भी अपना सर्वस्व देश की स्वाधीनता के लिए तिरोहित कर दिया.अपने वीर वलिदानी पुत्रों में श्री तिलका मांझी,श्री जग्गनाथ देव, श्री विष्णु मानकी,श्री मौज मानकी,श्री बुधु भगत, श्री सिन्दराय,श्री विन्दराय,वीर तेलन्गा खडिया, सिध्हू कान्हू, चाँद भैरव,फूलो झानो.

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श्री गंगानारायण,श्री विश्वनाथ सहदेव,श्री गनपत सरदार नीलाम्बर-पीताम्बर,श्री पोटो सरदार,भगवान बिरसा मुंडा सहित हजारों अनाम बलिदानिओं ने उस स्व की प्राप्ति हेतु गैर भारतीय शासन एव उनकी संस्कृति के विरोध में अपने प्राणों का न्योछावर कर दी. अपने झारखंडी समाज में ‘स्व’ पर आधारित जीवनदृष्टि को ढृढ़ संकल्प के साथ पुनः स्थापित करना आवश्यक है। स्वतंत्रता सेनानियों ने संगठित संपन्न झारखण्ड का स्वप्न देखा था, उसे साकार रूप देने का कार्य वर्तमान पीढ़ी को करना चाहिए. इस दृष्टि से विभिन्न कार्यक्रम हमने लिए हैं.पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुरजी का 400 वा प्रकाश वर्ष है।संघ उनके इस प्रकाश वर्ष को पूरे प्रान्त में समाज के साथ मना रहा है इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम भी किये जा रहे है।

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हमे दो क्षेत्रों में विशेष कार्य करने की बड़ी आवश्यकता है. शिक्षा क्षेत्र में विद्यालय बंद रहने के कारण छात्रों का विकास प्रभावित हुआ है, इसे लेकर संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं. ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो हुई लेकिन काफी कुछ छूट गया, इसकी भरपाई आवश्यक है. दूसरा कोरोना के कारण रोजगार प्रभावित हुआ है, स्वावलंबन को लेकर भी स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं. इसी के संबंध में बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है. झारखण्ड प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, मानवशक्ति की विपुलता और अंतर्निहित उद्यमकौशल के चलते झारखण्ड में भी अपने कृषि, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्रों को परिवर्तित करते हुए कार्य के पर्याप्त अवसर उत्पन्न कर आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है. इस क्षमता का सदुपयोग करने के लिए एक तरफ सरकार की योजना होनी चाहिए, साथ ही समाज की कर्मण्यता भी बढ़नी चाहिए.संघ द्वारा आयोजित इस पत्रकार वार्ता में प्रान्त संघचालक मा सच्चिदानंद लाल अग्रवाल,प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री धनन्जय कु सिंह,श्री नवल किशोर लालकर्ण विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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