लोहरदगा/रांची। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में गुरुवार को लोहरदगा शहर में जुलूस पर पथराव के बाद शुक्रवार को पूरे जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया। जिले के स्कूल-कालेजों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है।

पूरे जिले में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। जिले में आठवीं बोर्ड की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। कर्फ्यू के कारण तमाम सरकारी कार्यालय एवं बैंक बंद हैं। रांची-लोहरदगा टोरी ट्रेन एवं रांची सासाराम ट्रेन को बंद कर दिया गया है। जिले में भारी पुलिस बल तैनात है।

तनाव के मद्देनजर गुमला, लातेहार और रांची के ग्रामीण एसपी समेत 16 अतिरिक्त डीएसपी जिले में तैनात किए गए हैं। चार जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है। पैरामिलिट्री फोर्स को भी लगाया गया है। लोहरदगा में कर्फ्यू के चलते दो दिनों तक स्कूल-कॉलेज बंद रखने के निर्देश दिया है। प्रशासन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।

आईजी नवीन कुमार सिंह ने लोहरदगा पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना है। फिलहाल शांति है। धारा 144 एवं कर्फ्यू लागू है। दोषियों की पहचान की जा रही है। उनपर कार्रवाई की जाएगी। लोग अफवाहों पर ध्यान न दें।

उल्लेखनीय है कि पथराव में करीब 50 लोग घायल हुए हैं। इनमें 28 को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक को गंभीर अवस्था में रिम्स रेफर किया गया है। घायलों में तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। उपद्रवी भीड़ ने जुलूस में शामिल पिकअप वैन और उसमें लगे साउंड सिस्टम को फूंक दिया था। करीब 50 बाइक, तीन ट्रक और दर्जनभर दुकानें जला दी गईं थी। पुलिस ने भीड़ के हमले में घर में फंसे तीन परिवारों को किसी तरह बचाया। यह सारा तांडव पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हुआ था।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार सुबह 11:30 बजे लोहरदगा के ललित नारायण स्टेडियम से विश्व हिंदू परिषद की रैली निकली थी। यह रैली बरवा टोली, अपर बाजार, बड़ी मस्जिद थाना चौक होते हुए जैसे ही बड़ा तालाब, अमला टोली के पास पहुंची, वहां पथराव शुरू हो गया था। जुलूस के आगे सुरक्षा के लिहाज से एसपी प्रियदर्शी आलोक चल रहे थे। अचानक हुए पथराव से अफरा-तफरी मच गई। रैली में शामिल लोगों ने बचाव और प्रतिक्रिया में उन्हीं पत्थरों को उठाकर वापस रोड़े बाजी शुरू कर दी थी। इसके बाद तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई थी।

जुलूस में शामिल होने के लिए सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत भी पहुंचे थे। कार्यकर्ता उन्हें सुरक्षित किनारे ले गए। सांसद ने शांतिपूर्ण जुलूस में पथराव की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी थी।

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