रांची। कुलपतियों की नियुक्ति और सेवा विस्तार सरकार द्वारा किया जाता है। लेकिन केंद्रीय यूनिवर्सिटी झारखंड के कुलपति प्रो. नंदकुमार यादव ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के साथ मिलीभगत से खुद ही अपना सेवा विस्तार ले लिया। प्रो0 यादव मूलत: बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं।

जैसे ही इसकी भनक केंद्रीय शिक्षा मत्रालय के सचिव अमित खरे को लगी तो उन्होंने तत्तकाल प्रो0 यादव को हटाने का आदेश दे दिया। साथ ही विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण मांगा है।

प्रो. नंद कुमार यादव और विवादों का गहरा रिश्ता-नाता रहा है। जिस जालसाजी के आरोप में उन्हें पद छोड़ना पड़ा वह भी पिछले महीने जुलाई का है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कई कुलपतियों को अगले कुलपति की नियुक्ति तक सेवा विस्तार दिया था। प्रो. इंदु का कार्यकाल भी 31जुलाई 2020 को ही समाप्त हो रहा था। लेकिन, उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला था। इसके बावजूद प्रो. इंदू ने रजिस्ट्रार प्रो. एसएल हरि कुमार को अपने प्रभाव में लेकर एक जालसाजी की प्लानिंग की। योजनाबद्ध तरीके से दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सेवा विस्तार वाली चिट्ठी के आधार पर कुछ शब्दों के हेर-फेर के साथ अवैध रूप से प्रो. इंदू ने अपने सेवा विस्तार का पत्र तैयार करवाया। इसके बाद कुलसचिव प्रो. हरि कुमार ने बगैर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के गलत तरीके से अपनी मर्जी से प्रो. इंदू के कुलपति पद पर एक्सटेंशन का पिछले महीने 21 जुलाई को फर्जी नोटिफिकेशन कर दिया। जानकारी होने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस मामले को बहुत ही गंभीरता से लिया और इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए कुलसचिव प्रो. एसएल हरि कुमार के खिलाफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के कुलपति प्रो. हरिशचंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में एक सदस्यीय कमेटी बना दी। अंततः इस दबाव में प्रो. इंदु को पद छोड़ना पड़ा। लेकिन, Registrar
प्रो. हरि कुमार के खिलाफ अभी भी जांच जारी है।

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