रांची (वि सं के)। अभी नवरात्रि का उत्सव चल रहा है इसी नवरात्रि के समापन यानि विजयादशमी को वर्ष 1925 में परम पूज्य डॉ केशव वलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपुर में की थी। तीन वर्ष के वाद संघ अपने स्थापना के सौ वर्ष पूरे करने को जा रहा है।हम सब राष्ट्र के लिए कुछ करे ऐसे अपने मन में कुछ स्पंदित हो ऐसा संकल्प अपने हमसब के मन मे चलता रहता है।इसी संकल्प के आलोक में यह कार्यक्रम यहां के स्वयंसेवकों ने रखा था। प्रकृति की परीक्षा संघ के जीवन में कोई नई बात नही है सब प्रकार की चुनौती व संकट का सामना करते हुए,संघ आजतक अपने समाज और राष्ट्र की सेवा करता आया है।उपरोक्त बातें रांची महानगर द्वारा आयोजित महानगर एकत्रीकरण में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसवाले रांची के फुटबाल ग्राउंड मैदान में उपस्थित स्वयंसेवकों व नागरिक बंधु भगिनी को अपने सम्बोधन में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम ईश्वर से प्रतिदिन अपने प्रार्थना के माध्यम से पांच कृपा का निवेदन करते है।देश का कार्य करने के लिए हम कटिबद्ध है,इसलिए हमें अजेय शक्ति,सच्चा ज्ञान,ध्येय निष्ठा तथा वीरव्रत का आशीर्वाद हमें दे।यह जो समाज संगठन का कार्य है यह कंटको से भरा मार्ग है,इस मार्ग की विभीषिका से हम परिचित हैं फिर भी हमने स्वयं की प्रेरणा से अभिभूत होकर यह कार्य को करने का उत्तरदायित्व हमने अपने कंधों पर लिया है।इस कार्य को करने के लिए हमे किसी भी प्रकार की लोभ,अभिलाषा भी नही है ।राष्ट निर्माण के कार्य या राष्ट्र मुक्ति के कार्य मे जिन लोगो ने संकल्प लेकर आगे बढ़ने का कार्य किया है उन महान विभूति ओ के मार्ग में संकट आये है।
उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि-देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे के अमृत काल मे प्रवेश की है।इन बीते75 वर्ष में अपना समाज अब व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से भी व्यापक चिंतन किया है।स्वतन्त्रता की यह प्राप्ति हमारे दीर्घकालीन संघर्ष और हमारे पूर्वजों के बलिदान का एक विराट स्वरूप है।हमारे युवको ने हंसते हुए फांसी के फंदे को स्वीकार किया,समाज के हर लोगो ने स्वतंत्रता की इस यज्ञ में अपनी आहुति स्वप्रेरणा से दी।उन्होंने मातृभूमि के ऋण को चुकाने के लिए ही ऐसा त्याग व बलिदान को अर्पित किया।ऐसे बातावरण जब देश मे थी तभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई।

डॉ हेडगेवार जी इस स्वतंत्रता आंदोलन में दो बार देश की मुक्ति के लिए लड़ते हुए जेल की यातना को गले लगाया।उस समय सैकड़ो संघ के स्वयंसेवकों ने भी अपना सर्वस्व समर्पण कर भारत माता की मुक्ति में अपना योगदान दिया।संघ ने 1947 में प्राप्त आज़ादी के बाद अपना कार्य पूरा हो गया ऐसा नही माना।डॉ हेडगेवारजी हमेशा कहते थे आज नही तो कल इन अंग्रेजों को यहां से जाना ही पड़ेगा,किन्तु उनके जाने के बाद का भारत कैसा होगा?आखिर हम गुलाम क्यों हुए?परकीय आक्रांता आखिर हमारे ऊपर अपना दमन चक्र कैसे चला पाया? इसी भारत भाव से विह्वल होकर उन्होने ऐसे अद्वितीय संगठन को गढ़ा।हमे अतीत के प्रति गौरव,वर्तमान की चिंता और भविष्य की आकांक्षाओं को लेकर कार्य को आगे बढ़ाना होगा।

इस निमित्त समाज को जागृत रखना होगा।अपना समाज भिन्न भिन्न भेदों के कारण असंगठित हुए।जिसका लाभ अंग्रेजों ने लिया और फुट डालो शासन करों की नीति को यहां लागू किया।इस तरह के उदाहरण कईबार हमे देखने को मिलता है,पानीपत का यद्ध इसका उदाहरण है।जो समाज जाति, भाषा,धर्म,मत सम्प्रदाय में विभक्त हो उस समाज की नियति ऐसी ही होती है।देश और समाज के लिए हम काम करेंगे तो हमे क्या मिलेगा दुनिया मे दूसरे देश के लोग ऐसा नही सोचते?हमारे वीर बलिदानियों ने क्या यही भारत भाव से अभिभूत होकर अपना आत्मोत्सर्ग किया होगा?रात्रि से भारी बारिश एवं सुबह भी हो रही बारिश के बाद भी खुले मैदान में उपस्थित स्वयंसेवक एवं संघ के प्रति श्रद्धा रखनेवाले उपस्थित जन समुदाय को कहा कि-अपने समाज मे अनेक चुनोतियाँ है,जाति का,भाषा का,मत व सम्प्रदाय का भ्र्ष्टाचार का,।हमारा नागरिक आचरण कैसा हो क्या लाल किला पर तिरंगा फहरा लेना ही आज़ादी है? इस समाज का जो आत्मतत्व है वह कहां विलीन है?देश एक है,भारत एक है आज से नही,1947 से भी नही बल्कि उसके भी हज़ारों वर्षो से भी पहले भारत एक था,एक राष्ट्र था। यहां की संस्कृति ने भारत को एक राष्ट्र बनाया है और उस संस्कृति का नाम है हिन्दू संस्कृति।भारत मे विविधता है किंतु इस विविधता में अलगाव नही है।

इस धरती पर जन्म लेने वाले लोग, इस हिंदुत्व को बनाये रखने वाले लोग से ही भारत भारत रहेगा। हिन्दू भाव को हम जब जब भूले है यह राष्ट्र घोर विपदा को झेला है।इसी हिंदुत्व को भूलने के कारण हमारे भाई टूटे,हमारा धर्मस्थल टूटा और हमसे हमारा भूभाग टूट।जब हमारी संस्कृति का भाव कहीं भी ऊपर उठता है तो हर हिन्दू का मस्तक गर्व से ऊपर उठता है।आज भारत ऊपर उठ रहा है।आज विश्व के लोग भारत को भारतीयों को भारत की बात को गौर से सुनता है,मानता है,आदर करते सम्मान करते है।आज विश्व की मानवता भारत के ओर आशा भरी नजरों से देखती है।

क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी शक्ति को मानवता से भरी राह पर मज़बूती से चलना प्रारम्भ कर दिया है।कोविड जैसे महामारी के समय विश्व ने हमारे आचरण,हमारे व्यवहार और वसुधैव कुटुम्बकम के भाव को देख।आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका की हो या वैक्सीन की बात हो भारत ने निस्वार्थ सहयोग कर विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया।भारत यदि शक्तिशाली होता है तो दुनिया को मङ्गल करने का,विश्व के किसी कोने में रहनेवाले लोगो के बारे में सोचने,मदद करने एवं संकट से उबारने के लिए हमेशा आगे रहता है।उन्होंने कहा कि-भारत ने कभी किसी देश को गुलाम करने के लिए नही बल्कि सद्भाव के लिये, ज्ञान के लिए,योग के लिए,शिक्षा के लिए ही दूसरे देशों में अपना प्रतिनिधि भेजा है।

आज भी भारत के लाखों लोग दुनियां के अनेक देशों में रहते है ।वहां भी ये लोग उस देश के नियमानुकूल रहकर उसे देश के विकास में जो योगदान दे रहे वह अद्वितीय है।आंकड़े बताते है विदेशी जेलो में भारत की संस्कृति को आत्मसात कर जीवन जीनेवाले की प्रतिशतता नगण्य है या काफी कम है।आज इस भीषण वर्षा में भी कार्यक्रम अपने नियत समय और स्थान पर हुए ,अपने एकभी स्वयंसेवक ने कार्यक्रम रद्द होगी का भाव इस प्रकृति अवरोध पर नही सोचा, समाज भी जानता है ये संघ का कार्यक्रम है जरूर होगा,रदद् तो नही होगा ऐसा भाव आखिर कहां से आताहै?तो यह भाव शाखाओ पर हमारी प्रतिदिन की साधना से है।हमारे दृढ़ संकल्प का परिणाम है।वैश्विक महामारी कोविड काल मे समाज ने अपने स्वयंसेवको के कार्य और समर्पण को स्वयं अनुभव किया।अपना स्वयंसेवक तो नेकी कर दरिया में डाल के भाव से विभोर होकर सदा कार्य करते रहे हैं।


देश के संचालन करनेवाले लोगो के पीछे जब समाज खड़ा होता है तो इसका दीर्घकालीन परिणाम दिखता है,कई समस्याएं स्वयं दूर होती है चाहे वह श्री रामजन्मभूमि मन्दिर की बात हो या कश्मीर में धारा 370 की बात हो।अभी भारत की ओर कुदृष्टि डालने के बारे सोचने से भी घबराता है क्योंकि भारत का समाज जाग्रत हो उठा है। जब समाज जाग्रत होता है तो प्रशासन भी सही चलता है।किंतु देश का दुर्भाग्य है कि भारत के इस जाग्रत समाज कुछ अपने ही लोगो के आंखों में चुभता है?ऐसे मुट्ठी भर लोग इस जाग्रत व संगठित समाज को तोड़ने के लिए अनेक प्रकार के हथकंडे अपना रहा।

अपने समाज का मतांतरण कर उन्हें अहिन्दू बनाया जा रहा है,अपने ऊपर हमले भी किये जा रहे हैं,देश के अंदर जाति और अस्पृश्यता के नाम पर तोड़नेवाले शक्तियां भी सक्रिय है इसलिए हमें और भी सजग व सचेत रहना होगा।यह सजग होने का कार्य हमे अपने अपने घरों व मुहल्लों से होना ही चाहिए।समाज भेद मुक्त,हिंसा मुक्त,ऋण मुक्त,क्षुधा मुक्त यानी किसी भी प्रकार का भेद नही हो यानी अपना समाज समतायुक्त, आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास युक्त,समाज को खड़ा करना है।संघ शाश्वत रहे ऐसी अपनी कल्पना नही किन्तु अपना हिन्दू राष्ट्र शाश्वत हो और इस शाश्वत राष्ट्र के लिए हर पीढ़ी को एक कीमत चुकानी पड़ती है और इसी कीमत को चुकाने के लिए संघ खड़ा है।

भारत जब अपनी स्वतंत्रता का सौ वर्ष पूरा करेगा तब भारत कैसा होगा? हमारा परिवार व्यवस्था, स्वदेशी व भारत के कुटीर व ग्रामोद्योग के प्रति अपना दृष्टि, पर्यावरण में जल,जंगल और जमीन की स्थिति, सामाजिक समरसता का आधार के लिए अपना कार्य कैसा होगा इसके प्रति हमारी सजगता और ततपरता और कैसे पुष्ट होगी इस दिशा में अपना उत्तरदायित्व और भी अधिक है।वैश्विक संस्कृति के हम अग्रज है ऐसे में हमारा नागरिक कर्तव्य और भी अधिक है ।एक स्वयंसेवक व स्वयंसेवक परिवार से जुड़े होने के कारण अपने नागरिक कर्तव्य का निर्वहन हम स्वयं से शुरू कर समाज को भी एक संदेश दे।

रांची महानगर द्वारा आयोजित इस महानगर एकत्रीकरण में मंच पर सरकार्यवाह मा दत्तात्रेय होसबाले जी के साथ क्षेत्र संघचालक मा देवव्रत पाहन एवं महानगर संघचालक मा पवन मंत्री थे।इस अवसर पर क्षेत्र से श्री मोहन सिंह,श्री रामनवमी प्रसाद,श्री अजय कुमार,श्री प्रेम अग्रवाल प्रान्त से सच्चिदानंद लाल अग्रवाल,श्री अशोक श्रीवास्तव,संजय कुमार,श्री राकेश लाल,श्री गोपाल शर्मा,श्री राजीवकान्त जी,श्री कुणाल कुमार ,श्री राजीवकामल बिट्टू श्री धनन्जय सिंह बिभाग से श्री विवेक भसीन,श्री संजीत कुमार,डॉ शिवेंद्र प्रसाद श्री मंटू कुमार ,महानगर से श्री दीपक पांडेय,श्री विजय कुमार,सुधाकर कुमार सूरज पांडेय,श्री चितरंजन कुमार सहित सैकड़ों गणमान्य बन्धु भगिनी उपस्थित थी।

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