खूंटी। गांव की सरकार चुनने के लिए खूंटी जिले में 19 और 27 मई को चुनाव होना है। इस बार पंचायत चुनाव में सोशल मीडिया प्रत्याशियों के लिए सस्ता और प्रचार का सशक्त माध्यम बनकर सामने आया है। वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद के उम्मीदवार व्हाट्सएप और फेसबुक पर लोगों को संदेश भेजकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं।

मुखिया और अन्य पदों के दावेदार सोशल मीडिया में भावी विकास योजनाओं की जानकारी देकर मतदाताओं को लुभआने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रत्याशी ही नहीं, उनके समर्थक भी व्हाट्सएप और फेसबुक पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। पहली बार जिले में प्रत्याशी और समर्थक ही नहीं, मतदाता भी पंचायत चुनाव पर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
व्हाट्सएप और फेसबुक पर हजारों लोग जुड़े होते हैं। इसका फायदा प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को मिल रहा है। यहां तक कि लाइव वीडियो का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। उम्मीदवार और उनके समर्थक जहां भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं, उसका लाइव वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं।

तोरपा पश्चिमी से पंचायत समिति सदस्य के लिए चुनाव लड़ रहे अनिल भगत कहते हैं कि अब गाड़ियों में चोंगा बांधकर वोट मांगने का जमाना गया। अब प्रचार का सबसे बड़ा माध्यम व्यक्तिगत संपर्क और सोशल मीडिया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया चुनाव प्रचार का बहुत बड़ा और प्रभावी माध्यम बनकर उभरा है। प्रत्याशी और उनके समर्थक व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्वीटर पर अपनी बातों और वोट देने के लिए अलग-अलग ग्रुप में शेयर कर रहे हैं।
सुदूर ग्रामीण इलाकों में सोशल मीडिया का कम उपयोग
खूंटी जिले के अड़की, रनिया सहित कई ऐसे दुर्गम गांव हैं, जहां आज भी सोशल मीडिया की पहुंच ढंग से नहीं हो पायी है। सुदूर ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की खराब स्थिति के कारण बहुत कम लोग ही एंड्रायड मोबाइल का उपयोग करते हैं। इसके अलावा महंगा नेट चार्ज कराना भी गांव के गरीबों के लिए संभव नहीं होता। यही कारण है कि ग्रामीण इलाकों में अब भी व्हाट्सएप और फेसबुक तक लोगों की पहुंच बहुत कम है। इसके कारण इन इलाकों में हो रहे पंचायत चुनाव में सोशल मीडिया अपनी पकड़ नहीं बना सका है। गांव-देहात के प्रत्याशी हैंड बिल, पंपलेट, बैनर और अन्य पुराने प्रचार माध्यम से मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं।

सोशल मीडिया पर प्रशासन की कड़ी नजर

पंचायत चुनाव में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क हो गया है। वह सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख रहा है। प्रशासन द्वारा उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के साथ ही मतदाताओं से लगातार अपील कर रहा है कि व्हाट्सएप और फेसबुक या ट्वीटर पर ऐसा कोई पोस्ट नहीं डालें, जिससे आचार संहिता का उल्लंघन हो। जिले के एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों पर प्रशासन की कड़ी नजर है। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी।

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