रांची। लगातार दूसरे साल सरकार की पाबंदियों के कारण सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। कोचिंग संस्थानों के बंद हुए 19 माह हो चले हैं। कोचिंग संचालकों और यहां कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ चुकी है। थक हारकर अब कोचिंग संचालकों ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की है।

उनका कहना है, “या तो सरकार कोचिंग खोलें या इच्छा मृत्यु दे।”

कोचिंग फेडरेशन आफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष सह धनबाद कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने कहा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। कर्ज बढ़ता जा रहा है। संस्थान का किराया, बिजली बिल, कर्मचारियों का वेतन, नगर निगम के टैक्स समेत अन्य खर्चे कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

अगर पाबंदी सरकार की है तो किराए की जिम्मेवारी भी सरकार की होनी चाहिए। भारत का कोई भी नागरिक नहीं जान सकता कि कब तक ऐसे ही बंदी का माहौल रहेगा। कोविड प्रोटोकाल के तहत कोचिंग संस्थान भी खुलना चाहिए।

अब बाजार खुलने के साथ ही भवन मालिक किराए के लिए दबाव बना रहे हैं। कहीं-कहीं तो मकान मालिकों ने मकान में तालाबंदी तक कर दी है। कोचिंग संचालक सड़क पर आ गए हैं।

सवाल यह उठता है कि इस डेढ़ दो साल का किराया कहां से दें। अधिकतर छोटे कोचिंग संचालक की इतनी भी कमाई नहीं होती कि ठीक से अपने घर की जरूरतें भी पूरी कर सकें। ऐसे में इतने बड़ी बोझ का जिम्मेवार कौन होगा। एक ओर मकान मालिकों की कमाई का जरिया भी कोचिंग संचालन ही है।

फेडरेशन ने राज्य के कोचिंग संचालको से आह्वान किया है कि सम्मिलित रूप से एक लिटिगेशन फाइल कर हम न्याय की गुहार के लिए सरकार के पास अपना पक्ष रखते हुए खुद को बचा लेने के लिए अंतिम आग्रह करेंगे।

 

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