गिरिडीह। गिरिडीह में भाकपा माओवाद का खूनी इतिहास है। अभी भी यहां माओवाद है। हालांकि, अभी यहां के गांवों में लोगों को माओवादियों से कम, मधुमक्खियों से अधिक डर लग रहा है। इसका वाजिब कारण भी है। बीते एक माह में मधुमक्खियों ने आठ लोगों की जान ली है।

माओवादी मारते हैं तो सरकारी मुआवजा का प्रावधान है। हाथी मारेगा अथवा सांप के डसने से मौत होगी तो भी मुआवजा की व्यवस्था है। लेकिन मधुमक्खियों के कारण जान जाने पर सरकारी मुआवजा नहीं मिलता। बिहार की सीमा से सटे तिसरी, गावां, करमाटाड़ एवं बेंगाबाद के लोग कहते हैं कि मधुमक्खियों का शहद जितना मीठा होता है, डंक उतना ही जहरीला होता है। उन्हें माओवादियों से नहीं मधुमक्खियों से डर लगता है। ग्रामीणों का कहना है कि अबतक जिन लोगों की भी मौत हुई है उनमें किसी की भी मौत शहद निकालने के क्रम में नहीं हुई है। अचानक मधुमक्खियों के हमले से लोगों की मौत हुई हैं।

जानकारी के अनुसार मधुमक्खियां के डंक से पिछले एक माह में पांच महिला समेत आठ लोगों की मौत एवं 30 लोगों के घायल होने की खबर है। मृतकों में चार बच्चे भी शामिल हैं। आलम यह है कि जिले के गावां और तिसरी इलाके के ग्रामीण इन दिनों जंगल जाने से परहेज कर रहे हैं।

-ताजा मामला तीन अक्टूबर की शाम सदर प्रखंड के करमाटाड़ गांव की है। दंपति शनिचर महतो और उनकी पत्नी भिखनी देवी अपनी बकरिया को चराने जंगल गये थे। इसी दौरान मधुमक्खियों ने दंपति पर हमला कर दिया। असहनीय पीड़ा से दंपति की मौत हो गयी।

-गांवा थाना क्षेत्र में ही तीन बच्चियों को मधुमक्खियों ने डंक मारकर घायल कर दिया था।

-गावां में ही दो सगे भाई गोतम कुमार ( 12) और उतम कुमार ( 14) की मौत मधुमक्खियों के काटने से हो गयी थी।

-दो अक्टूर को तिसरी में मधु कुमारी ( 10) की जान मधुमक्खियों ने डंक मारकर ले ली ।

इस संबंध में गिरिडीह के डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने कहा कि गिरिडीह क्नक्षेत्र में ग्रामीणों को मधुमक्खियों के डंक मारने की सूचना मिल रही है । इस प्रकार के मामले नये हैं । इसकोलेकर राज्य सरकार को रिपोर्ट तैयार कर भेजी जा रही है। इस संदर्भ में सरकार के द्वारा गाइड लाइन मिलने के बाद दिशा निदेशों का पालन किया जायेगा।

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