बड़कागांव। कोरोना महामारी ने ऐसा कोहराम मचाया है कि अब अपने भी दूर होने लगे हैं| कोरोना ने ऐसे दिन दिखा दिए हैं जहां पर मुश्किल समय में अब कोई किसी की मदद नहीं करता, बल्कि सिर्फ दूर रहने की ही कोशिश रहती है। लेकिन इन दूरियों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धर्म के तमाम बंधनों को तोड़ सिर्फ इंसानियत में विश्वास दिखा रहे हैं। कोरोना आपदा में मानवता और भाईचारे की मिसाल भी सामने आ रही है।

हिन्दू और मुसलमानों का भेद तोड़कर लोग एक-दूसरे की मदद के लिए सामने आ रहे हैं ऐसी ही तस्वीर बड़कागांव प्रखण्ड के चोपदार बलिया में देखने को मिला दरअसल चोपदार बलिया के पांसी टोला निवासी 35 वर्षीय प्रभु चौधरी पिता बढन चौधरी की मृत्यु बीते रविवार की रात हुई। प्रभु चौधरी के मृत्यु के उपरांत उसके रिश्तेदार से लेकर अपने पराए किसी ने भी सुध नहीं ली यहां तक की उनका अग्नि संस्कार करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। वही, प्रभु चौधरी की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है इसकी पुष्टि कहीं से नहीं हुई।

इसके बाद गांव के ही मुस्लिम युवकों ने मानवता का परिचय देते हुए परिवार जनों के आदेश पर अग्नि संस्कार करने के बजाए दफन करने का निर्णय लिया तब मुस्लिम युवकों ने खुद कब्र खोदकर मृतक का अंतिम यात्रा अपने कंधों पर निकाला फिर हिंदू रीति रिवाज से मृतक का अंतिम क्रिया कर्म किया। आपको बताते चलें कि मृतक के अंतिम यात्रा से लेकर अंतिम क्रिया कर्म तक मृतक के दो बेटों  के अलावा कोई अपना रिश्तेदार भी शामिल नहीं हुआ। मृतक के अंतिम क्रिया में मुख्य रूप से छोटे खान, कासीद खान, पटानी खान, मोहसीन खान, आजाद खान और मोहम्मद रमजान के अलावा दर्जनों ग्रामीण शामिल थे।

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