उज्जैन। श्रावण-भादो मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में श्रावण के दूसरे सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की सवारी नगर में धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान भगवान महाकाल ने दो स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए।

भगवान महाकालेश्वर पालकी में चन्द्रमोलेश्वर रूप में तथा हाथी पर मनमहेश के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देने और अपनी प्रजा का कुशल-मंगल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले।

सोमवार शाम को करीब चार बजे सवारी के निकलने के पूर्व सभामंडप में भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया गया। मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा पूजन संपन्न कराया गया। सर्वप्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर भगवान का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्चात भगवान की आरती की गई।

सवारी के निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में खुजराहो सांसद वीडी शर्मा, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए।

इस दौरान सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी आदि उपस्थित थे।

पूजन के पश्चात अतिथियों ने भगवान महाकालेश्वर की सवारी को कंधा देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। भगवान चन्द्रिमोलेश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले।

पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खड़े श्रद्धालुओं ने जय महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।

इसके बाद भगवान महाकाल की सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई शाम 6.00 बजे रामघाट पहुंची, जहां शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। पूजन के पश्चात सवारी महाकालेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई।

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