काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी के साथ ही एक के बाद एक अजीब फैसले लिये जा रहे हैं। इस कड़ी में तालिबान ने एक कैदी को ही काबुल जेल का प्रभारी नियुक्त कर दिया। जानकारी के मुताबिक यह कैदी एक समय में इसी जेल में बंद था।

काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने काबुल के पूर्वी क्षेत्र में बनी पुल ए चरखी जेल के सभी कैदियों को रिहा कर दिया है। अफगानिस्तान की कई जेलें इसी तरह वीरान हो गई हैं। रोचक तथ्य ये है कि एक दशक पहले पूर्वी कुनार प्रांत से जिस तालिबान आतंकी को पकड़कर पुल ए चरखी जेल लाया गया था, वही अब जेल का प्रभारी है।

वर्तमान जेलर ने बताया कि अब वह तालिबान साथियों के साथ जेल की सुरक्षा व्यवस्था देख रहा है। जेल के कमांडर के साथ आए एक उसके साथी ने जेल में पड़ी एक चप्पल को अपने पैर में डाला। नाप ठीक देखते ही उसने अपनी चप्पल वहीं छोड़कर उस चप्पल को पैरों में डाल लिया। राजधानी काबुल की पुल ए चरखी जेल में पांच हजार कैदियों को रखे जाने की व्यवस्था है। यह अफगानिस्तान की सबसे बड़ी जेल है। वीरान पड़ी जेल का नजारा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अब सभी अपराधी सलाखों के बाहर हैं।

उधर, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मानवाधिकार परिषद को मिशेल बाचेलेत ने बताया कि तालिबान घरों में तलाशी ले रहा है। वह अमेरिकी सहयोगियों और पूर्व सरकार में रहे सुरक्षा कर्मचारियों को खोज रहा है। इस दौरान वह लोगों को यातना दे रहा है। अधिकार समूहों के कार्यालय बंद हो गए हैं। बाचेलेत ने मानवाधिकार परिषद की बैठक में एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें तालिबान एक युवक को जबरन गाड़ी की डिग्गी में डाल रहे हैं। यह घटना काबुल की है। बाचेलेत ने कहा कि उनके पास विश्वसनीय रिपोर्ट है कि तालिबान पूर्व सरकार के अधिकारियों और उनके परिवारों पर अत्याचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि तालिबान कुछ स्थानों पर यूएन कर्मचारियों से भी मारपीट करते हुए उन्हें धमका रहा है।

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