लंदन। चीन से कोरोना उत्पत्ति की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा, सबूत मिटाए जा रहे और रोका जा रहा।   चीन भेजे गए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने कहा कि इस संबंध में उनकी तलाश रुक गई है और इस रहस्य से पर्दा उठाने के रास्ते भी तेजी से बंद हो रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की खुफिया समीक्षा भी अनिर्णायक साबित हुई है।

अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित खबर के अनुसार खुफिया समीक्षा में कोई निर्णय नहीं हो पाया कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला या चीन की प्रयोगशाला से उसका प्रसार हुआ। जर्नल नेचर में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ द्वारा तैनात विशेषज्ञों की टिप्पणी में कहा गया कि वायरस की उत्पत्ति संबंधी जांच अहम मोड़ पर है और तत्काल साझेदारी की जरूरत है लेकिन वहां गतिरोध बना हुआ है। चीनी अधिकारी अब भी मरीजों की गोपनीयता का हवाला देते हुए उचित सहयोग नहीं कर रहे और मरीजों का आंकड़ा नहीं दे रहे हैं।

इस साल के शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विशेषज्ञों की टीम वुहान भेजी थी जहां पर दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला आया था। टीम यह पता लगाने गई थी कि किन कारणों से महामारी फैली जिसकी वजह से अबतक करीब 45 लाख लोग पूरी दुनिया में जान गंवा चुके हैं और पांच अरब टीके की खुराक लगाने के बावजूद रोजाना दुनिया में 10 हजार से अधिक मौत हो रही हैं।

डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि उनकी रिपोर्ट महज पहला कदम है। उन्होंने कहा, इस अहम मामले की जांच का अवसर तेजी से समाप्त हो रहा है। किसी भी तरह की देरी कुछ अध्ययनों को लगभग असंभव बना देगा। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए एंटीबॉडी समय के साथ कम होती जाती है और जो लोग दिसंबर 2019 में संक्रमित हुए थे उनके नमूनों की जांच बीतते समय के साथ लाभकारी साबित नहीं होंगी।

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