अफ्रीका। दक्षिण अफ्रीका में एक बेहद विचित्र घटना हुई है. इससे साइंटिस्ट भी हैरान है. न जाने किस बात से नाराज मधुमक्खियों ने 64 अफ्रीकन पेंग्विंस को मार डाला. इन पेंग्विंस की प्रजाति खतरे में है. मधुमक्खियों ने इनकी आंखों पर हमला किया. आंखों में डंक मारकर जो जहर छोड़ा उससे इन प्यारे पेंग्विंस की मौत हो गई. पूरी दुनिया में इस प्रजाति के सिर्फ 42 हजार पेंग्विंस ही बचे हैं.

 

अफ्रीकन पेंग्विंस को वैज्ञानिक भाषा में स्फेनिसकस डेमेरसस (Spheniscus demersus) कहते हैं. जिन मधुमक्खियों ने इन पर हमला किया उनका नाम केप हनी-बी (Cape Honeybees) है. साउथ अफ्रीकन नेशनल पार्क ऑर्गेनाइजेशन (SANParks) के रेंजर्स ने केप टाउन के पास टेबल माउंटेन नेशनल पार्क में 64 पेंग्विंस को मरा हुआ पाया. इस पार्क में इन पेंग्विंस को संरक्षित और बचाने के लिए रखा गया था. पेंग्विंस की यह प्रजाति इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की लाल सूची है.

 

SANParks ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि इन पेंग्विंस की मौत का समय गुरुवार दोपहर से लेकर शुक्रवार सुबह तक का हो सकता है. इनके शरीर पर किसी बाहरी चोट के निशान या फिर किसी पक्षी द्वारा किए गए हमले का निशान देखने को नहीं मिला है. जब इन पेंग्विंस को नेक्रोपसीस (Necropsies) यानी जानवरों के पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया तब पता चला कि इनकी आंखों या उसके आसपास मधुमक्खियों ने अपने जहरीले डंक से हमला किया था.

 

 

साउदर्न अफ्रीकन फाउंडेशन फॉर द कंजरवेशन ऑफ कोस्टल बर्ड्स के जीव विज्ञानी डेविड रॉबर्ट्स ने कहा कि हमनें नेक्रोपसीस और जांच के बाद यह पाया कि मधुमक्खियों ने पेंग्विंस की आंख को निशाना बनाया था. जहां पर पेंग्विंस मारी गई हैं, वहां पर मरी हुई मधुमक्खियां भी मिली हैं. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि मधुमक्खियों ने इन पेंग्विंस पर क्यों हमला किया. इन्होंने पेंग्विंग की आंख को ही निशाना क्यों बनाया?

 

वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं. क्योंकि मधुमक्खियां पूरे शरीर पर हमला करती हैं, सिर्फ किसी एक अंग को निशाना बनाना एक अलग तरह की घटना है. डेविड ने कहा कि यह बेहद दुर्लभ घटना है. ऐसा आमतौर पर नहीं होता.  17 सितंबर 2021 को हमें 63 पेंग्विंस की लाशें मिलीं, उसके बाद अगले दिन हमें एक और पेंग्विन मरी हुई दिखाई दी.

 

हालांकि उस घटना के बाद से अब तक और किसी पेंग्विन की मौत नहीं हुई है. न ही उस इलाके में किसी अन्य पेंग्विंस के मारे जाने की कोई खबर मिली है. रेंजर्स लगातार इस इलाके पर नजर रख रहे हैं. अफ्रीकन पेंग्विंस का औसत वजन 2.2 से 3.5 किलोग्राम तक होता है. ये करीब 24 से 28 इंच लंबे होते हैं. इनकी आंखों के ऊपर एक खास तरह का गुलाबी धब्बा होता है. जीव विज्ञानियों को आशंका है कि उस गुलाबी धब्बे को मधुमक्खियों ने कहीं फूल न समझ लिया हो.

नर अफ्रीकन पेंग्विंस मादा की तुलना में थोड़े ज्यादा बड़े होते हैं. ये पेंग्विंस दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका के तट के पास 24 द्वीपों पर रहते हैं. ये द्वीप नामीबिया और अलगोआ बे, पोर्ट एलिजाबेथ के आसपास ज्यादा मिलते हैं. ये इन जगहों पर कॉलोनियों में रहते हैं. सबसे बड़ी कॉलोनी बोल्डर बीच पर पाई जाती है.

 

19वीं सदी तक अफ्रीकन पेंग्विंस की आबादी 40 लाख के आसपास थी. 1910 तक यह घटकर 15 लाख हो गई. अब पूरी दुनिया में इनकी आबादी सिर्फ 42 हजार के आसपास है. इनका शिकार रोकने के लिए सरकारों ने सख्त नियम बनाए हैं. साथ ही इनके संरक्षण को लेकर कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. कई द्वीपों पर इंसानी गतिविधियों को रोक दिया गया है ताकि यहां पर पेंग्विंस रह सकें.

 

आमतौर पर अफ्रीकन पेंग्विंस की उम्र 10 से 25 साल की होती है. अगर ये सुरक्षित जगह पर रहे तो यह 30 साल तक हो सकती है. लेकिन इनका शिकार करने वाले जीव इनकी आबादी बढ़ने नहीं देते. जैसे शार्क, फर सील्स, केल्प गुल्स, केप जेनेट्स, मॉन्गूस, कैरेकल्स, घरेलू बिल्ली, कुत्ते आदि इन पर हमला करके इनका शिकार कर लेते हैं. अगर पेंग्विंस की कॉलोनी खुले इलाके में होती है तो इन्हें जान का खतरा ज्यादा होता है.

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