नई दिल्ली। चीन के खिलाफ शुरू हो गई है। अमेरिका की संसद में तिब्बत को एक स्वतंत्र देश की मान्यता दिए जाने की मांग की गई है. अमेरिकी सांसद स्कॉट पैरी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसके लिए अधिकृत किए जाने के लिए विधेयक पेश किया है. ऐसे में अमेरिका अगर तिब्बत पर रुख सख्त करता है तो चीन के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

हाल ही में पेश इस विधेयक को बीते सप्ताह ही अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति को भेज दिया गया है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका में तिब्बत को अलग देश का दर्जा दिए जाने की मांग की गई हो. बीते दिनों ही स्कॉट पैरी समेत 32 सांसदों ने एक संयुक्त पत्र लिखकर विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से आग्रह किया था कि वो 2002 में पारित तिब्बत पॉलिसी एक्ट को लागू करे. साथ ही अमेरिकी अधिकारियों, पत्रकारों को तिब्बत में आवाजाही की मंजूरी न देने वाले चीनी अफसरों को वीजा न दिए जाने वाले रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट 2018 को भी प्रभावी बनाने का आग्रह किया.

महत्पूर्ण है कि तिब्बत पॉलिसी एक्ट राष्ट्रपति जॉर्ज डबल्यू बुश के कार्यकाल में लागू किया गया. वहीं रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट 2018 राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ही पारित किया गया. कोरोना वायरस को लेकर चीन के साथ चल रही खींचतान के बीच अमेरिका ने तिब्बत के मामले पर भी आंच बढ़ा दी है. बीते दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियों ने पंचेन लामा को भी सामने लाए जाने को लेकर चीन से सवाल किया था. अमेरिकी संसद 28 अक्टूबर 1991 को पारित प्रस्ताव में तिब्बत पर चीन के अधिकार और अधिपत्य को अवैध करार दे चुकी है.

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