काठमांडू : नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। एक नाटकीय घटनाक्रम में विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों ने सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को अपना समर्थन दे दिया। इसके साथ ही प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए।

हालांकि,  राजनीतिक गलियारे में इस घटनाक्रम को चीन की चाल की सफलता मानी जा रही है। क्योंककि केपी शर्मा ओली नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री हैं जो सत्ता में रहने के दौरान चीन की सह पर भारत के खिलाफ बयान देते थे। ऐसी खबर भी आती रही कि चीन चाहता था कि दोनों नेता गठबंधन बनाएं।

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले विपक्षी सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-माओवादी सेंटर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक में ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनी। सीपीएन-एमसी देब के महासचिव गुरुंग ने कहा कि सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी और अन्य पार्टियां 165 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतलनिवास’ में प्रचंड को प्रधानमंत्री बनाने का दावा करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को सौंपने के लिए एक समझौता पत्र किया गया है। बैठक में ओली के आवास बालकोट में ओली, प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समन्वयवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

रोटेशन के आधार पर सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रचंड और ओली के बीच समझौता हुआ। ओली अपनी मांग के अनुसार, प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हुए। नए गठबंधन को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें सीपीएन-यूएमएल को 78, सीपीएन-एमसी को 32, आरएसपी को 20, आरपीपी को 14, जेएसपी को 12, जनमत को 6 और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी को 3 वोट मिले हैं।

सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही। अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है।

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