चीन| चीन के शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के उत्पीड़न, दक्षिण चीन सागर के अलावा हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान पर चीन के तीखे तेवर का गठबंधन के चार सदस्य कड़ी आलोचना कर रहे हैं| लेकिन इस गठबंधन में शामिल न्यूजीलैंड ने ऐसा करने से साफ़ इनकार कर दिया है|
दरअसल, ‘फ़ाइव आइज़’ नाम के इस गठबंधन को ‘शीतयुद्ध’ के दिनों में 1941 में बनाया गया था| इसमें शामिल पांच देशों के बीच खुफ़िया सूचनाओं को साझा करना ही इसका मसाद रहा है| अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इसके पांच सदस्य हैं| इसे अब तक का दुनिया का सबसे सफल खुफ़िया गठबंधन माना जाता है|
बता दे कि फ़ाइव आइज़ के चार देशों अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के उत्पीड़न की कड़ी निंदा की| इन देशों ने दक्षिणी चीन सागर में चीन के विस्तारवादी रवैए पर भी नाराज़गी जाहिर की है| इसके अलावा, हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र के दमन और ताईवान पर चीन की ओर से बढ़ते ख़तरे पर भी चिंता ज़ाहिर की है|
लेकिन हैरानी की बात है कि मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर ख़ुद पर गर्व करने वाले न्यूज़ीलैंड ने चीन की निंदा करने की मुहिम में शामिल होने से साफ़ इनकार कर दिया है| न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने सोमवार को कहा था कि चीन के साथ मतभेदों को दूर करना काफ़ी कठिन है| इस बयान के बाद लगता है न्यूज़ीलैंड, चीन से अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना चाह रहा है|
उधर चीन का सरकारी मीडिया ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच पैदा हुई इस खटास को काफी महत्व दे रहा है| चीन, न्यूज़ीलैंड का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है| न्यूज़ीलैंड अपने क़रीब 30 फ़ीसदी उत्पादों के निर्यात के लिए चीन पर निर्भर है| इनमें से ज़्यादातर डेयरी उत्पाद हैं. ऐसा ही हाल ऑस्ट्रेलिया का भी है| लेकिन चीन की नीतियों पर इन दोनों पड़ोसी और सहयोगी देशों का रुख़ साफ़ तौर पर अलग है|
ऑस्ट्रेलिया ने कुछ दिन पहले ही सख्त रवैया अपनाते हुए विक्टोरिया राज्य में प्रस्तावित ‘वन बेल्ट एंड वन रोड’ योजना के तहत होने वाले निवेश को हाल में रोक दिया है| वहीं पिछले एक साल के दौरान, चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर कई तरह के कारोबारी प्रतिबंध लगाए हैं| दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के और ख़राब हो जाने से ऑस्ट्रेलिया को झटका लगा है|
चीन की धमकी के बाद न्यूज़ीलैंड की सरकार ने अपनी पार्टी लाइन से अलग फ़ैसला लिया है| इसका मतलब है कि पिछले साल ‘फ़ाइव आइज़’ की भूमिका में किया गया विस्तार, फिलहाल थम गया है| इस चलते कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह गठबंधन अब मुश्किलों में फंस गया है| असल में न्यूज़ीलैंड फ़ाइव आइज़ गठबंधन नहीं छोड़ रहा है| ज़ाहिर-सी बात है कि यदि न्यूज़ीलैंड ने यह गठबंधन छोड़ दिया तो उसे बहुत कुछ खोना पड़ेगा|