इस्लामाबाद। कंगाली के दहलीज पर खड़ा पाकिस्तान कर्ज को चुकाने के लिए भी कर्ज ले रहा है। पाकिस्तान ने सऊदी अरब को 3 बिलियन डॉलर कर्ज के बदले 1 बिलियन डॉलर की राशि वापस की है। इस कर्ज की अदायगी के लिए पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर की राशि उसके सदाबहार दोस्त चीन ने दी थी। वहीं, कश्मीर पर साथ न देने से चिढ़े पाकिस्तान ने सऊदी को धमकी भी दी है।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के हालिया बर्ताव के कारण सऊदी ने अपने वित्तीय समर्थन को वापस भी ले लिया है। अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3 साल के लिए 6.2 बिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज देने का ऐलान किया था। इसमें 3 बिलियन डॉलर की नकद सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के एवज में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी।
रकम पर 3.3 फीसदी का ब्याज दे रहा पाक
इस समझौते के अनुसार, शुरुआत में सऊदी ने पाकिस्तान को नकदी और तेल की सुविधा केवल एक साल के लिए दिया था, लेकिन बाद के वर्षों में इसे बढ़ाकर तीन साल के लिए कर दिया गया। इस 3 बिलियन डॉलर की नकद सहायता के लिए पाकिस्तान 3.3 फीसदी की दर से ब्याज की अदायगी भी कर रहा था।
पाकिस्तानी जीडीपी का 90 फीसदी हो जाएगी कर्ज
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण इस साल जून तक बढ़कर 37,500 अरब पाकिस्तानी रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 90 प्रतिशत हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सिर्फ इस साल ही कर्ज चुकाने पर 2,800 अरब रुपये खर्च करेगा जो संघीय राजस्व बोर्ड के अनुमानित कर संग्रह का 72 प्रतिशत है। दो साल पहले जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार सत्ता में आई थी, तब सार्वजनिक ऋण 24,800 लाख करोड़ रुपये था, जो तेजी से बढ़ रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार केवल 12 अरब डॉलर
पाकिस्तान द्वारा 15 अरब डॉलर का कर्ज किसी एक साल में लेना उसके समक्ष खड़ी चुनौतियों और गहराते कर्ज संकट को दर्शाता है। पाकिस्तान में बिना कर्ज के विदेशी मुद्रा प्रवाह नहीं हो पा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास जो 12 अरब डॉलर का कुल विदेशी मुद्रा भंडार है, वह ज्यादातर कर्ज से मिली राशि ही है। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कर्जदाताओं, कमर्शल बैंक, यूरोबॉन्ड जारीकर्ताओं और आईएमएफ से कुल मिलाकर 15 अरब डॉलर मिलने का अनुमान है।
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