अमेरिका| अभी आप नाश्ते में क्या खाते हैं? टोस्ट, पोहा, अंडे, दूध या फल… लेकिन भविष्य में आपको नाश्ते और स्नैक्स में खाने के लिए कीड़ों के लार्वा, प्रोटीनयुक्त सफेद कीड़े, फंगस से निकला हुआ प्रोटीन और एल्गी खाने को मिल सकता है. क्योंकि ये तेजी से दुनियाभर में फैल रहे हैं. दिक्कत ये है कि जिस तरह से क्लाइमेट चेंज हो रहा है. महामारियां आ रही है. जंगलों में आग लग रही है. बाढ़ आ रही है. ऐसे में उन चीजों की कमी होगी जिन्हें आमतौर पर खाते हैं. फिर आपको कीड़ों का लार्वा और एल्गी यानी काई खाकर ऊर्जा प्राप्त करनी होगी. यह स्टडी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने की है.

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी  के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ एक्सिसटेंशियल रिस्क के रिसर्च एसोसिएट असफ जाचोर (Asaf Tzachor) ने कहा कि जब ऐसी महामारियां और प्राकृतिक आपदाएं आएंगी तब खाने की किल्लत होगी. गरीब देशों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में इंसानों को जीवित रहने के लिए ऐसे खाने की जरूरत पड़ेगी जो कम खाने पर भी पूरी ताकत दे और इंसान सेहतमंद भी रहे.

असफ जाचोर ने बताया कि हम एल्गी खाएंगे. फंगस से निकलने वाला प्रोटीन खाएंगे. यहां तक कि उन्हें कीड़ों के सफेद लार्वा तक को खाना पड़ सकता है.

 

 

वर्तमान स्थिति देखते हुए इंसानों को चाहिए कि वो कुछ ऐसा काम करें कि भविष्य में सिर्फ यह कीड़े और एल्गी खाने को न मिले.

असफ जाचोर ने बताया कि हमारा खाने का सिस्टम पूरी तरह से पौधों और जानवरों पर आधारित है. हमने कभी एल्गी और कीड़े नहीं खाए. लेकिन भविष्य में आपके सामने तालाब में जमी काई आपके सरसों के साग की जगह ले सकती है. या फिर पालक-पनीर की जगह एल्गी-पनीर खा रहे हों. अगर इन्हें खाने से बचना है तो हमें कुछ पारंपरिक खाद्य सामग्रियों को भविष्य में जिंदा रखना होगा. जिसमें फल, सब्जियां आदि आते हैं. फिर कीड़े और एल्गी सिर्फ सप्लीमेंट्री फूड्स का काम करेंगे.

 

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