जापान में आत्महत्या के बढ़ते मामले को देखते हुए वहां की सरकार ने ‘अकेलेपन’ से निपटने के लिए एक मंत्री नियुक्त किया है. यह जिम्मेदारी मिलने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री तात्सुशी सकामोटो ने कहा कि प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने इसे राष्ट्रीय मामला माना है, जिसके तहत उन्होंने हल करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी है.
उन्होंने आगे कहा कि महामारी के तहत महिलाओं की बढ़ती आत्महत्या दर को देखते हुए प्रधानमत्री सुगा ने मुझे इस मुद्दे की जांच करने और एक व्यापक रणनीति बनाने के निर्देश दिए है. मुझे उम्मीद है कि सामाजिक अकेलापन और अलगाव को रोकने के लिए और लोगों के बीच संबंधों को बचाने के लिए हम सफल होंगें. बता दें कि साल 2018 में ब्रिटेन भी कुछ इसी तरह के पद की नियुक्त कर दुनिया का पहला देश बना था.
दरअसल जापान, भारत की तरह युवा आबादी का देश नहीं है. फिर जो युवा है भी उनके साथ परिवार की कमी और फिर महामारी के कारण अकेलेपन और सामाजिक अलगाव को और भी बढ़ावा दिया है. साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए जापान ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे. इसकी वजह से देश में शारीरिक या सामाजिक दूरी बनायी गई. कई ऐसे इन कारणों की वजह से जापान में खुदकुशी के मामलें लगातार बढ़े रहे है.
जापान में कोरोना महामारी के दौरान आबादी में अकेलेपन की समस्या बढ़ी है. जिसकी एक वजह इंटरनेट का ज्यादा इस्तमाल करना भी है. ज्यादा समय तक ऑनलाइन रहने के कारण युवा अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं. हाल ही में एक अध्ययन में कुल 1,750 युवाओं को शामिल किया था. इसमें 16, 17 और 18 वर्ष की उम्र के युवा थे. जिसमें से अधिकांश लोगों ने इंटरनेट पर काफी समय खर्च किया था.
अगर जापान में कोरोना महामारी की बात करें तो जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, जापान में 426,000 से अधिक कोविड के मामले सामने आए जिनमें से 7,577 लोगों की जानें गई है.