काबुल। तालिबान ने अमेरिका पर अफगान शांति वार्ता में देरी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह आरोप अमेरिकी राजनायिक की उस टिप्पणी के बाद लगाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि युद्ध खत्म होने से पहले हिंसा कम करने की जरूरत थी।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने सोमवार को उज्बेकिस्तान के दौरे के दौरान कहा था कि इस्लामिक समूह के साथ शांति समझौते के लिए तलिबानी हिंसा में कमी के ठोस सबूत जरूरी थे।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से किए गए ट्वीट समझौते पर हस्ताक्षर करने पर रोक और अमेरिकी मुद्दे इस शांति प्रक्रिया में आ रही बाधाओं का कारण है। पोम्पियो को आरोप नहीं मढ़ने चाहिए। हमारा कदम सैद्धांतिक और मजबूत है। हमारी नीति विपरीत पक्ष की तरह अस्थिर नहीं है।

सितम्बर में एक अमेरिकी सैनिक के आतंकवादी हमले में मारे जाने के बाद ट्रंप ने एक टवीट के जरिए ऐलान कर 18 साल पुराने यु्द्ध को खत्म करने को लेकर होने वाली बातचीत खत्म कर दी थी।हालांकि, वार्ता फिर से शुरू हुई, लेकिन कई हमले होने के कारण बाधाएं भी आईं। दिसम्बर में एक आत्मघाती हमले में काबुल के बाहर एक अमेरिकी बेस पर हमला किया गया, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई थी।

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