पटना. यह कहानी एक ऐसे हुनरमंद इंसान की है जो कभी सालों तक पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के आवास में रहकर मुख्यमंत्री के कपड़े सिलते थे. जिनके बनाये कुर्ता पायजामा पहनकर कर्पूरी ठाकुर ने आंदोलन लड़ा पर आज वो फुटपाथ पर जिंदगी काटने को मजबूर है. नौकरी भी मिली पर ईमान नहीं बेचने के सवाल पर नौकरी चली गई. कर्पूरी के नाम पर आज कई बड़े नेता बने पर इन्हें देखने वाला कोई नहीं.

सचिवालय के ठीक सामने फुटपाथ पर छोटे से टेबल पर रखी सिलाई मशीन और टूटी कुर्सी ही यूनुस आलम की पूरी जमापूंजी है. आंखों पर चश्मा चढ़ाए बूढ़े पैरों से सिलाई मशीन चलाते ये हुनरमंद यूनुस आलम टूटी कुर्सी पर बैठकर दिनभर ग्राहकों का इंतजार करते हैं. दिन भर में कोई कपड़ा लेकर आ गया सिलाई मशीन पर युनूस के हाथ ऐसे चलने लगते हैं जैसे कोई कलाकार नई कलाकृति की रचना कर रहा हो.

ऐसा नहीं है यूनुस शुरू से ही ऐसी जिंदगी जी रहे हैं. एक समय था जब वे मुख्यमंत्री आवास में मिले कमरे में रहते थे और मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर के कपड़े सिलते थे. युनूस आलम का जमीन से सीएम आवास और फिर सीएम आवास से फुटपाथ तक का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं.

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