नई दिल्ली।  इस बार प्याज की महंगाई त्योहारों का स्वाद कड़वा कर सकती है. खरीफ फसल बुवाई में देरी और कई अन्य वजहों से अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज की महंगाई आम जनता को फिर रुला सकती है. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार इस साल प्याज उत्पादन वाले इलाकों में अगस्त महीने में मानसूनी बारिश की कमी रही जिसकी वजह से खरीफ फसल की बुवाई में देरी हुई. न्यूज एजेंसी  के अनुसार, भारत में प्याज की खपत हर महीने औसतन 13 लाख टन होती है.

खरीफ के फसल के आने में देरी, बफर स्टॉक ज्यादा दिन न चलने और Tauktae साइक्लोन आने जैसी कई अन्य वजहें भी प्याज की कीमतों में महंगाई की आशंका को बढ़ा रहे हैं.

तीन साल पहले के मुकाबले दोगुनी कीमत 

रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर साल 2018 से तुलना की जाए तो इस साल प्याज की कीमतों में 100 फीसदी की बढ़त हो सकती है, यानी तबसे दोगुनी हो सकती हैं. इस साल खरीफ की फसल के लिए प्याज की थोक कीमत 30 रुपये को पार कर सकती है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले यह थोड़ा कम ही होगा.’

साल 2018 को असल में प्याज की कीमतों के मामले में सामान्य वर्ष माना जाता है. इसके बाद से इसमें लगातार तेजी देखी गई. साल 2020 में भी प्याज कीमतें 2018 के मुकाबले करीब दोगुनी हो गई थीं.

मॉनसून की बारिश में कमी

रिपोर्ट के अनुसार अगस्त महीने में मानसून की बारिश में 9 फीसदी की कमी देखी गई है. क्रिसिल का कहना है कि 2021 में प्याज के खरीफ पैदावार में 3 फीसदी की बढ़त हो सकती है. खरीफ की फसल अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले हफ्ते में आ सकती है. उसके पहले कीमतों में उछाल देखा जा सकता है.

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