मुंबई/नई दिल्ली, 10 फरवरी (स्वदेश टुडे)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। समिति ने एक बार फिर रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला लिया है। इसी तरह रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौद्रिक नीति समिति ने इसे पहले की तरह ही 3.35 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखा गया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक में जीडीपी विकास दर के 7.8 प्रतिशत तक रहने और 2022-23 की दूसरी छमाही में महंगाई दर में कमी आने की भी उम्मीद जताई गई है।

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आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सामने देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को बढ़ाने के साथ ही लगातार बढ़ रही महंगाई को भी काबू करने की बड़ी चुनौती थी। आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने से महंगाई के और बढ़ने का खतरा भी मौद्रिक नीति समिति के सामने था। ऐसे में माना जा रहा है कि मौद्रिक नीति समिति ने आर्थिक विकास को तरजीह देने की जगह तात्कालिक तौर पर महंगाई पर काबू पाने को प्राथमिकता दी है। इसी वजह से लगातार दसवीं बार नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है।

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8 फरवरी से शुरू हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आज आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की जीडीपी विकास दर 7.8 प्रतिशत रह सकती है। इसके साथ ही आरबीआई ने 2021-22 के दौरान खुदरा महंगाई दर के 5.3 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया है। वहीं 2022-23 के दौरान मुद्रास्फीति की दर 4.5 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई गई है।

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आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में 2022-23 में जीडीपी की वास्तविक विकास दर के 7.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया। बैठक में इस बात की उम्मीद भी जताई गई कि 2022-23 की दूसरी छमाही यानी तीसरी तिमाही की अंत से लेकर चौथी तिमाही के शुरुआत में महंगाई में कमी आएगी। जिससे चौथी तिमाही के महंगाई दर के आंकड़े भी घटेंगे।

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