New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार देर रात यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2025 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के कानून बनने के बाद सरकार ने इसे अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित कर दिया है।
यह विधेयक लोकसभा में 3 अप्रैल और राज्यसभा में 4 अप्रैल को पारित किया गया था। नए कानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं और कुछ प्रावधानों में संशोधन किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अब किसी संपत्ति पर मनमाने तरीके से दावा नहीं कर सकेगा। विवाद की स्थिति में अदालत में चुनौती दी जा सकेगी और केवल पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकेगा। इसके अलावा, आदिवासी बहुल राज्यों और इलाकों में जमीन सहित अन्य संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। वक्फ की ऐसी संपत्तियों को भी बचाना मुश्किल होगा, जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने इस विधेयक को पिछले साल अगस्त में लोकसभा के सामने रखा था, जिसे बाद में सर्वसम्मति से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया। जेपीसी ने करीब छह महीने तक विधेयक पर मिले संशोधन के सुझावों पर विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी दी। एक महीने बाद केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी। राज्यसभा में इस विधेयक पर 13 घंटे की लंबी चर्चा के बाद देर रात 2:30 बजे इसे मत-विभाजन के जरिए पारित किया गया। इस दौरान 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 95 सांसदों ने विपक्ष में मतदान किया। लोकसभा में भी विधेयक को बहुमत से पारित किया गया, जहां 288 मत पक्ष में और 232 मत विरोध में पड़े। इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने वक्फ कानून, 1995 में संशोधन किया है, जिससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
शामिल हैं ये प्रावधान
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में बहुमत के अभाव में भाजपा को अपने सहयोगियों की कुछ मांगों को स्वीकार करना पड़ा था। जेपीसी में इसमें कई बदलाव किए गए। इनमें विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होने के पहले मस्जिद एवं अन्य धार्मिक स्मारकों, चिन्हों पर पूर्व की स्थिति बहाल रखने, जमीन संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार को जिला मजिस्ट्रेट के इतर अधिकारी नियुक्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। आदिवासियों के हित संरक्षण के संदर्भ में सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूची का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा।
गैर मुस्लिम सदस्य हो सकेंगे शामिल
- नए संशोधनों के अनुसार, Waqf Board में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति होगी। इस्लाम धर्म के एक विशेषज्ञ का बोर्ड का सदस्य होना जरूरी है।
- Waqf Board और परिषद में दो महिला सदस्यों की नियुक्ति जरूरी। किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले सत्यापन अति आवश्यक।
- जिला कलेक्टर Waqf संपत्तियों का सर्वेक्षण करेगा, स्वामित्व सुनिश्चित करेगा।
- निर्णय लेने में गैर मुस्लिम, अन्य मुस्लिम, पसमांदा मुस्लिम , पिछड़े मुस्लिम और महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा।
पांच साल इस्लाम का पालन तभी कर सकेंगे संपत्ति का दान
बोर्ड को संपत्ति दान करने वाला इस्लाम धर्म का अनुयायी होना चाहिए। वह कम से कम पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
कोई सरकारी संपत्ति अब वक्फ की नहीं
किसी भी सरकारी संपत्ति को अब वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा।
महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार
परिवार वक्फ जिसे वक्फ-अल-औलाद कहा जाता है, उसमें अब मुस्लिम महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार मिलेगा। महिलाओं को भी अपनी पैतृक व ससुराल की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिलेगा। विधवा, तलाकशुदा और अनाथ महिलाओं को अपनी पारिवारिक संपत्ति में हक मिलेगा।
सत्यापन सही हुआ तो संपत्ति वक्फ की ही
- जो भी संपत्ति में वैध रूप से वक्फ की हैं, सत्यापन सही निकला, तो वह Waqf की ही रहेगी। बशर्तें की उनकी पहचान विवादित या सरकारी संपत्ति के रूप में न कर ली जाए।
- वक्फ संपत्तियों पर परिसीमा अधिनियम 1963 अब लागू कर दिया जाएगा। इससे लंबे समय तक चलने वाले अदालती मामले कम जाएंगे।
- पूरे गांव को वक्फ संपत्ति घोषित करना, मनमाने तरीके से किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति कह कर दावा ठोकने मात्र से संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं हो सकती।
- जिन वक्फ संस्थाओं की आमदनी एक लाख रुपये सालाना से ज्यादा है, उनको अपना वार्षिक ऑडिट करवाना होगा।
- मुतवल्लियों को 6 महीने में केंद्रीय वक्फ पोर्टल पर अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा। मुसलमानों ने जो भी ट्रस्ट बनाए हैं, देश के किसी भी कानून के तहत वक्फ की संपत्ति नहीं माने जाएंगे।
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