नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान 77 वर्षीय अमिताभ ने साफ कर दिया कि फिलहाल वह सन्यांस लेने के मूड में नहीं हैं।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे समारोह में पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अमिताभ बच्चन ने अपने संक्षिप्त संबोधन में देश की जनता के अपार स्नेह के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि मैं विनम्रता से पुरस्कार को स्वीकार करता हूं। उन्होंने कहा कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत लगभग पांच दशक पूर्व हुई थी और लगभग उतने ही समय से वह सिनेमा जगत में सक्रिय हैं।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब इस पुरस्‍कार की घोषणा हुई तो उनके मन में एक संदेह उठा कि क्‍या कहीं यह पुरस्‍कार इस बात का संकेत तो नहीं है कि भाई साहब बहुत काम कर लिया, अब घर बैठ के आराम कर लीजिए। क्योंकि अभी भी थोड़ा काम बाकी है जिसे मुझे पूरा करना है। अमिताभ के इस कथन को सुनते ही राष्ट्रपति भवन का दरबार हाल वहां मौजूद लोगों की हंसी से गूंजने लगा।

उल्लेखनीय है कि दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। इसकी शुरुआत दादा साहब फाल्के के जन्मशताब्दी वर्ष 1969 में हुई थी। केंद्र सरकार की ओर से यह पुरस्कार किसी व्यक्ति विशेष को सिनेमा क्षेत्र में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है।

इस साल सितंबर में अभिनय के जरिये एक आम आदमी की व्यथा, वेदना, हर्ष और संघर्ष को उकेरने वाले अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी। जंजीर, दीवार और शोले जैसी फिल्मों के माध्यम से युवा पीढ़ी के क्रोध को अभिव्यक्ति देने के कारण उन्हें सिनेमा जगत के एंग्रीयंग मैन का खिताब मिला। साल 2000 से टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति भी को होस्ट कर हरे हैं। वह पोलिया और स्वच्छ भारत मिशन जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर लोगों को जागरुक करने में भी योगदान दे रहे हैं।

इस मौके पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, अमिताभ बच्चन की पत्नी जय बच्चन और पुत्र अभिषेक बच्चन सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि बच्चन स्वास्थ्य कारणों से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे। ऐसे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें अलग से सम्मानित करने की घोषणा की थी।

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