New Delhi : ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के मुकुट में आज एक और मणि जड़ गया। सूर्य मिशन पर निकला इसरो का आदित्य एल-1 आज शाम चार बजे अपने मुकाम लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर बिना किसी रुकावट के पहुंच गया। एल1 अंतरिक्ष में उस जगह को कहते है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल एक जैसा होता है। सूर्य के बारे में अध्ययन करने वाले आदित्य-एल1 यान को बीते 2 सिंतबर 2023 को लॉन्च किया गया था। एल-1 प्वाइंट में प्रवेश के साथ आदित्य एल 1 आज हेलो ऑर्बिट में स्थापित हो गया। ISRO अब आदित्य एल-1 के जरिये आने वाले पांच साल तक सूर्य का अध्ययन कर जानकारी जुटा सकेगा। एल-1 प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का महज 1 फीसदी है। दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इसरो के मुताबिक हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा।

पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इसरो के पहले सूर्य मिशन (आदित्य एल1) के सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में पहुंचने पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

इसके साथ केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मून वॉक से लेकर सन डांस तक भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम ISRO ने एक और सफलता की कहानी लिखी है। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

पांच महीने पहले किया गया था लांच

भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य एल1 को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया था। आदित्य-एल 1 में सात पेलोड लगे हैं। इनमें से चार पेलोड ऐसे हैं, जो सूर्य की ओर बढ़ते समय पड़ने वाले असर को रिकॉर्ड करेंगे। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक हैलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा (हैलो ऑर्बिट) में स्थापित उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के सूर्य को लगातार देख सकता है।

क्या करेगा आदित्य-L1 ?

  • सौर तूफान का अध्ययन करेगा
  • सौर लहरों के वायुमंडल पर असर के बारे में पता लगाएगा
  • सूरज से निकलने वाली गर्मी पर रिसर्च करेगा
  • सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की पड़ताल करेगा
  • सौर वायुमंडल को समझने की कोशिश करेगा
  • सूरज के किनारों पर होने वाली तपिश का पता लगाएगा
  • सूरज के किनारों पर उठने वाले तूफानों की गति मापेगा
  • सूरज के तापमान के पैटर्न को समझेगा
  • सूरज से मौसम पर पड़ने वाले असर का पता चलेगा

आदित्य-L1 का 4 हिस्सों में सफर

  1. स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग
  2. चार बार ऑर्बिट चेंज
  3. ट्रांस-लैग्रेंजियन इंसर्सन
  4.  L1 ऑर्बिट इंसर्सन

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