अनूपपुर। माघ पूर्णिमा के पावन पर पवित्र नगरी अमरकंटक में रविवार को नर्मदा तीर्थकोटी कुंड एवं रामघाट में हजारों श्रद्धालुओं आस्था की डुबकी लगाई और दीपदान किया तथा सूर्य देव को प्रणाम कर अर्ध्य दिया। इस दौरान नर्मदे हर के जयकारों से मां नर्मदा के स्नान घाट एवं नर्मदा उद्गम मंदिर प्रांगण गूंज उठा।

कतारबद्ध होकर श्रद्धालु मां नर्मदा के दर्शन करते दिखे। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गरीब निराश्रितों ब्राह्मणों को तिल, गुड़, कंबल व वस्त्र दान किए। माघी पूर्णिमा पर नर्मदा स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं का अमरकंटक आगमन होता है। पूर्णिमा के इस अवसर पर अमरकंटक के विभिन्न आश्रमों,मंदिरों,देवालयों एवं सार्वजनिक स्थानों में भंडारा,प्रसाद का भी आयोजन रखा गया जहां लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

माघी पूर्णिमा में स्नान का महत्व- धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं। माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।

नर्मदा मंदिर के मुख्यप पुजारी धनेश द्विवेदी (वंदे महराज) ने बताया कि यह जो माघ का महीना स्नान के लिए अत्यंत पावन पुण्यदायी है। माघ मास के पूर्णिमा के दिन गंगा,नर्मदा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने पर अनंत कोटि गुणफल की प्राप्ति होती है। इस मास में किए गए दान से समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। आज के ही दिन जो लोग एक महीने का कल्पवास करते है आज उसकी पूर्णयता होती है। जो लोग माता जी के आश्रय लेकर नर्मदा तट में स्नान कर नर्मदा जी का दर्शन करता है वह धन धान्य लक्ष्मी वैभव एवं सुख शांति से अपना जीवन संपन्न करके अपने आपको धन्य बना लेता है। शास्त्र में तीन मास का स्नान वर्णित है जिसमे प्रथम कार्तिक मास, दूसरा माघ मास तीसरा वैशाख मास है। जो लोग माघ मास पूर्णिमा के दिन स्नान करते है उन्हे पूरे महीने के स्नान का पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ भगवान लक्ष्मी नारायण की कृपा मिलती है और मनवांछित मनोकामना पूर्ण होती है।

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