अयोध्या। रामजन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण में एक नया पेंच फंस गया है। परिसर के दक्षिणी-पश्चिम किनारे पर स्थित कुबेर का टीला है। यह टीला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) का संरक्षित स्मारक है। एएसआई के संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सौ मीटर के दायरे में किसी प्रकार के स्थाई निर्माण पर प्रतिबंध कायम है जबकि 101 से लेकर तीन सौ मीटर तक विभागीय अनुमति लेकर निर्माण कराया जा सकता है। इसी के चलते राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।

रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अधिकृत सूत्रों का कहना है कि जनवरी 2018 में लोकसभा में संरक्षित स्मारकों के सौ मीटर दायरे में आने वाली बड़ी परियोजनाओं को राहत देने के लिए एक विधेयक पारित किया गया था। इसी विधेयक में देश भर के सूचीबद्ध स्मारकों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया था। पहला राष्ट्रीय महत्व के स्मारक व दूसरा धार्मिक -सांस्कृतिक महत्व का स्मारक एवं तीसरा सामान्य स्मारक जिसमें स्तूप व टीले आदि शामिल किए गए। बताया गया कि रामजन्मभूमि परिसर में स्थित कुबेर टीला तीसरी श्रेणी का स्मारक है जिसमें आवश्यक छूट दी जासकती है।

फिलहाल मंदिर निर्माण की एजेंसी एल एण्ड टी की ओर से सर्वे रिपोर्ट के बाद ही प्रस्ताव उ.प्र. शासन को भेजा गया। शासन के माध्यम से यह प्रस्ताव केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजा जाएगा। उधर छह दिसम्बर 92 की घटना के बाद सात जनवरी 1993 को पारित अयोध्या एक्ट के माध्यम से रामजन्मभूमि के चारों ओर करीब 70 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। परिसर की सम्पूर्ण अधिगृहीत भूमि अब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को हस्तान्तरित कर दी गई है।

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