नई दिल्ली। जैविक बम व घातक जहर बनाने वाली इजरायल की सीक्रेट लैब ने कोरोना वायरस का टीका बनाया है। इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट ने दावा किया कि देश के वैज्ञानिकों ने इस महामारी का टीका बना लिया है। इजरायल के जिस अत्याधुनिक डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस का टीका बनाया है, वह पूरी दुनिया में अपनी गोपनीयता के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि यह इंस्टीट्यूट भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच पूरी दुनिया से छिपकर जैविक और रासायनिक हथियार और इनसे बचाव के लिए वीपन बनाता है।
डिफेंस इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 1952 में प्रफेसर और तत्कालीन पीएम के वैज्ञानिक सलाहकार अर्नेस्ट डेविड बेर्गमान ने की थी। इस इंस्टीट्यूट के बारे में कहा जाता है कि यह चिकित्सा विज्ञान की तकनीकों और संक्रामक बीमारियों से बचाव पर काम करता है। इजरायल में वैक्सीन और दवा बनाने का काम भी इस इंस्टीट्यूट के जिम्मे है। अब इसी लैब ने कोरोना वायरस का टीका बनाने का दावा किया है। इजरायल के रक्षा मंत्री के मुताबिक यह वैक्सीन मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और बीमार लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्मा कर देती है।
जैविक और रासायनिक हथियार बनाता है इंस्टीट्यूट
इजरायल का डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट दक्षिणी तेलअबीब से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेस जिओना में है। इस इंस्टीट्यूट में 350 से ज्यादा लोग काम करते हैं जिनमें 150 वैज्ञानिक हैं। इजरायल के लिए यह इंस्टीट्यूट कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह सीधे पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को रिपोर्ट करता है। किसी भी संकट में यह सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है।
जमीन के अंदर है लैब, बनता है मोसाद के लिए जहर
इजरायल का डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट दुनिया के सबसे रहस्मय लैब में एक माना जाता है। बताया जाता है कि इस इंस्टीट्यूट में इजरायल जैविक और केमिकल वीपन तथा ऐसे हमले से बचाव के लिए हथियार बनाता है। इसके अलावा यह इंस्टीट्यूट खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जहर बनाता है। इस जहर का इस्तेमाल दुनियाभर में इजरायली शत्रुओं की हत्या के लिए किया जाता है। बताया जाता है कि इन घातक जहर और केमिकल वीपन को बनाने के लिए इजरायल ने जमीन के अंदर काफी गहराई में लैब बनाई है। ब्रिटिश खुफिया अधिकारी गॉर्डन थॉमस के मुताबिक इजरायल की यह सीक्रेट लैब अत्यधिक सुरक्षा घेरे में रहती है। इस इंस्टीट्यूट के चारों ओर क्रंक्रीट की दीवार बनाई गई है। इस इंस्टीट्यूट के ऊपर से किसी भी विमान को उड़ने की इजाजत नहीं है।