Ranchi : “विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राज्य में तीसरी बार झारखंड आदिवासी महोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है। यह सिर्फ एक महोत्सव मात्र नहीं है, बल्कि यह अपनी प्राचीन और समृद्ध जनजातीय सभ्यता-संस्कृति और विरासत को संजोने, संवारने और देश-दुनिया में पहचान दिलाने की एक कोशिश है।” यह बातें CM हेमंत सोरेन ने कही। मौका था रांची में आयोजित दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव-2024 के उद्घाटन समारोह का। मौके पर CM ने कहा कि आज राज्यभर में हर्ष, उल्लास और उत्साह के साथ आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए आदिवासी अपनी सभ्यता और संस्कृति की चमक बिखेर रहे हैं। आदिवासी महोत्सव आदिवासी जीवन दर्शन और कला-संस्कृति को अलग पहचान देने का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। यहां आयोजित हो रहे आदिवासी महोत्सव में हमें आदिवासियों की कला-संस्कृति, परंपरा, गीत-नृत्य और उनकी वेशभूषा से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि गवर्नर संतोष कुमार गंगवार एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष-सह-राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने शिरकत की।

जनजातीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है

CM हेमंत सोरेन ने कहा कि जनजातीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है। आदि काल से ही आदिवासियों की सभ्यता -संस्कृति और परंपरा काफी समृद्ध रही है। दुनिया में अलग-अलग हिस्सों में आदिवासी समुदाय वास करते हैं, लेकिन उनके सभ्यता -संस्कृति में कहीं न कहीं एकरूपता देखने को मिलती रहती है। जनजातीय कला- संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित करने के साथ समृद्ध करने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणाश्रोत हमेशा बना रहे।

झारखंड के आदिवासी हमेशा संघर्ष करते रहे

CM हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों को विरासत में संघर्ष मिला है। यहां के आदिवासियों ने अपनी सभ्यता- संस्कृति और मान-सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया। जल- जंगल -जमीन की रक्षा के खातिर लंबा संघर्ष किया। हमें गर्व है अपने उन वीरों पर, जिन्होंने अन्याय, शोषण एवं देश-राज्य के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।

वीरों और शहीदों की धरती रही है झारखंड

CM हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड सदियों से वीरों और शहीदों की धरती रही है। चाहे आजादी के पहले की बात हो या आजादी के बाद अथवा झारखंड अलग राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई। भगवान बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, भैरव- चांद, फूलो झानो, नीलाम्बर पीताम्बर, तिलका मांझी, शेख भिखारी, बुधु भगत, टाना भगत, निर्मल महतो और विनोद बिहारी महतो जैसे अनेकों वीर हुए हैं, जिन्होंने अन्याय -शोषण, आदिवासी-मूलवासी के हक-अधिकार और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। अपने इन वीर शहीदों को नमन है।

आदिवासी समाज को आगे बढ़ने का सभी मिलजुल का प्रयास करें

CM हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों को बहुत संघर्ष के बाद मुकाम हासिल होता है । इसके लिए उन्हें एक लम्बी लड़ाई लड़नी होती है । ऐसे में आदिवासी समाज कैसे आगे बढ़े, इसके लिए सरकार तो प्रयास कर ही रही है। आपको भी अपनी भूमिका निभानी होगी। आप आगे बढ़ें, सरकार आपके साथ है।

लोगों की उम्मीदों को पूरा करने का प्रयास

CM हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार से जनता को काफी उम्मीदें हैं। हम जन आकांक्षाओं को पूरी ताकत के साथ पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। इस सिलसिले में सरकार की ओर से अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के जरिए राज्य की जनता को सशक्त और स्वावलंबी बना रहे हैं। CM ने कहा कि विपरीत चुनौतियों के बीच भी राज्य में विकास को नया आयाम देने का कार्य कर रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे सकें।

12 पुस्तकों का विमोचन, 257 लोगों को मिला सामुदायिक वन पट्टा

इस महोत्सव में डॉ राम दयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित 12 पुस्तकों का विमोचन किया गया। वहीं, 257 लोगों के बीच 73 हज़ार 583 एकड़ सामुदायिक वन पट्टा बांटा गया। महोत्सव की शुरुआत में गणमान्यों ने शहीद बेदी पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं, गवर्नर और CM ने आदिवासी प्रदर्शनी शिविर और आदिवासी चित्रकार शिविर का उद्घाटन और अवलोकन किया।

ये रहे मौजूद

इस महोत्सव में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री दीपक बिरुवा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, विधायक कल्पना सोरेन, विधायक राजेश कच्छप, मुख्य सचिव एल खियांग्ते, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, DGP अनुराग गुप्ता, राज्यपाल के प्रधान सचिव नीतिन मदन कुलकर्णी, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव कृपानंद झा एवं आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा सहित कई आला अधिकारी एवं गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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