Ranchi : “जोहार ! जब संजय जी आये थे तो जोर से जोहार बोल रहे थे। अरे मैं भी मामा हूं… बोलो… जोहार… जोहार”, इन शब्दों के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना संबोधन शुरू किया। कहा कि राष्ट्रपति महोदया को झारखंड से विशेष लगाव रहा है। कृषि मंत्री बनने के बाद मैं इसी परिसर में आया था और यहीं सोया था। तब पता चला कि संस्थान के 100 साल पूरे होने वाले हैं। हमारे अनुरोध को महामहिम राष्ट्रपति ने स्वीकार किया, उसके लिए आभार। लाह का इतिहास महाभारत काल के पहले से है। कौरवों ने लाक्षागृह बनवाया था।

पीएम मोदी ने विविध खेती पर जोर दिया है। आज 400 करोड़ का निर्यात करते हैं। कई किसान हैं जो लाख रुपए लाह से प्रतिवर्ष कमा रहे हैं। प्लास्टिक पर्यावरण का दुश्मन है। लाह की खेती आसानी से हमारी बहनें भी कर सकती हैं। सबको लखपति दीदी बनाना है। कृषि विभाग, अनुसंधान परिषद की ये ही कोशिश है कि लाह उत्पादक किसानों की आय बड़े और लाह का उत्पादन दोगुना हो जाए। यह वनोत्पाद है, लेकिन मैं प्रयास करूंगा कि लाह की कृषि उत्पाद को श्रेणी में शामिल हो जाए। हम क्लस्टर आधारित प्रसंस्करण का निर्माण किया जाएगा और जनजातीय विभाग के साथ मिलकर काम किया जाएगा। किसानों को प्रशिक्षण 5 हजार किसानों को दिया जाएगा। इस साल से ही शुरू होगा। वर्तमान में 1500 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रांची को कृषि शोध, प्रसंस्करण को देश में अव्वल बनाया जायेगा।

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