रांची। प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदकुमार ने कहा कि करोना वायरस ने हमारे सामने बहुत सारे सवाल तथा मुद्दों को एक साथ खड़ा कर दिया है। जिसका उत्तर हमें एकजुट होकर विश्वास से देना होगा। करोना या तो हमें आर्थिक रूप से पीछे छोड़ेगा या फिर बीमार करके प्रभावित करेगा। नंदकुमार प्रज्ञा प्रवाह झारखण्ड के फेसबुक लाइव में युग परिवर्तन और हिंदुत्व पर अपने विचार रख रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय जी-20 का रोल पूरे विश्व के लिए शून्य के तरह था। उसने सिर्फ अपने हित के लिए सोचकर अपने आप को सेफ रखा। अपने देश में लाकडाउन होने बाद सार्क देशों के साथ माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने बैठक कर उन्हें हर सम्भव मदद करने की बात कही जो कि हिंदुत्व की एक परिभाषा तथा जरिया है। भारत ने इस महामारी में बहुत से देशों की मदद करके उनका नेतृत्व किया जिसकी सराहना विश्व पटल पर अब तक हो रही है।
भारत ने पूरे विश्व को आध्यात्मिक तरीके से जोड़े रखा है, हमारा उद्देश्य पूरे विश्व का कल्याण करके सर्वश्रेष्ठ बनाने का है। किसी भी व्यक्ति को दुःख नही होना चाहिए सबका मंगल होना चाहिए।
एकात्म मानव दर्शन तथा महात्मा गाँधी जी का स्वदेशी कथन पूरे विश्व को रास्ता दिखलाने वाला है। ग्राम समाज की कृषि व्यवस्था लोगों को इस संकट काल से बाहर निकलने का रास्ता दिखायेगा। महात्मा गाँधी जी ने आजादी के समय ही जवाहर लाल नेहरू जी को पत्र के माध्यम आर्थिक स्थिति के आधार से जुड़े विषयों के बारे में सोचने के लिए कहा था। जिसमें ग्राम, ग्राम आधारित कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग को वरीयता देने के लिए कहा।
लेकिन नेहरू जी का मानना था कि ग्राम समाज अंधविश्वास का केंद्र है। इसका शहरीकरण होना देश के भविष्य के लिए जरूरी है। गाँव को खेती से ज्यादा महत्व देने लायक नही है। गाँधी जी के आदर्श ग्राम की परिभाषा नेहरू जी ने बदल दी। गाँव को खत्म करके शहरीकरण किया जाने लगा। हिन्दू अर्थव्यवस्था को खत्म करने के लिए हिंदुत्व के उपर लोगों ने समय समय पर चोट किया जिसका खमियाजा हम आज तक भुगत रहे हैं।
अगर हमें विश्व को पुनः जागृत करना होगा तो उसका तरीका सिर्फ हिंदुत्व है। जो हमें दान करने की बात करता है। हमें दया और प्रेम के साथ अपने इच्छानुसार जरूरतमंद लोगों को दान देना होगा।

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