रांची। शीतलहर शुरू होने के साथ ही जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों की ओपीडी में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है। इनमें सबसे अधिक संख्या बच्चों में निमोनिया की शिकायत वालों की है। ऐसे मौसम में बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं। बुखार, खांसी, सांस फूलना और पसलियों के चलने की शिकायत है तो फौरन बच्चे को चिकित्सक के पास ले जाना जरूरी है। जरा सी लापरवाही बच्चे को निमोनिया का शिकार बना सकती है।
निमोनिया की समय से पहचान करने के बाद अगर बाल रोग विशेषज्ञ को समय से दिखाया तो परेशानी कम होगी। लेकिन, घरेलू नुस्खे आजमाए जाते रहे तो बच्चे की हालत बिगड़ सकती है। चिकित्सकों के मुताबिक बच्चे के लिए मां का दूध संजीवनी है। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बाहरी खाने की चीजें बच्चों को न दें। छोटे बच्चे को प्लास्टिक की बोतल से दूध न दें। इससे उसे इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। इसके साथ ही घर के बुजुर्गों की सेहत का भी इन दिनों विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। धूप निकलने के बाद ही बुजुर्गों को घर से बाहर निकलने दें।
चिकित्सा अधीक्षक और बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि शीत लहर शुरू हो चुकी है। बच्चों के साथ ही बुजुर्गो का भी विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। सिर, पांच कान ढककर रखें। इसके साथ ही गुनगुने पानी का सेवन करें और बच्चों को भी कराएं। दिक्कत महसूस होने पर फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।
ऐसे में छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चे को ठंड का असर या फिर पसलियां चलने जैसी परेशानी हो तो फौरन चिकित्सक से परामर्श करें। घरेलू नुस्खों के चक्कर में न पड़ें।
ये करें
– बच्चों को गर्म कपड़े पहनाकर रखें
– बाहर निकलने पर सिर, कान ढककर रखें
– बुखार, खांसी की शिकायत होने पर चिकित्सक से परामर्श करें