वाल्मीकि रामायण में मंदोदरी की कहानी नहीं है. इसमें सिर्फ इतना जिक्र है कि वे मायासुर और हेमा की संतान थीं. हालांकि उत्तर रामायण में मंदोदरी के सौंदर्य और उनकी सच्चाई का जिक्र मिलता है. रामायण के कई दूसरे संस्करणों में भी मंदोदरी के बारे में विस्तार से लिखा गया.
रामायण के एक संस्करण देवीभागवत पुराण में जिक्र है कि मंदोदरी के सौंदर्य पर मोहित रावण जब उससे विवाह की सोचता है, तब उसे चेतावनी भी मिलती है कि इस शादी से जन्मी पहली संतान उसके विनाश का कारण बनेगी. रावण चेतावनी नजरअंदाज कर देता है और मंदोदरी से ही विवाह करता है. बाद में उसकी गर्भ से जन्मी पहली संतान को खुद रावण ही कुरुक्षेत्र में जमीन में दफना आता है. यही बच्ची सीता बनी और रावण की मौत का कारण बनी.
उत्तर पुराण में भी मिलता-जुलता प्रसंग है. इनमें भी बताया गया है कि सीता रावण और मंदोदरी की पहली संतान थीं और इसलिए दफना दी गईं क्योंकि रावण को अपनी मृत्यु का डर था. एशिया के कई देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया और थाइलैंड में बोली जाने वाली भाषा- मलय में लिखी गई।
रमा कलिंगा में बताया जाता है कि कैसे मंदोदरी पर मोहित रावण गलती से छद्म मंदोदरी से शादी कर लेता है. यहां मंदोदरी को राम की मां बताया गया है. राम के पिता और मां के मिलन से सीता का जन्म हुआ, जो असल में रावण की पुत्री थीं.
रावण वध की वजह उसकी पत्नी मंदोदरी थी
एक और कहानी में जिक्र मिलता है कि एक बार रावण, कुंभकर्ण और विभीषण तीनों ने भगवान बह्मा को खुश करने के लिए कड़ी तपस्या की. बह्मा ने वरदान मांगने को कहा तो रावण ने उनसे अमर होने का वरदान मांगा. बह्मा ने इसपर असमर्थतता जताते हुए वरदान दिया कि रावण को सिर्फ एक खास तीर से मारा जा सकेगा. वो तीर भी बह्मा ने खुद रावण को सौंप दिया. प्रसन्न रावण ने तीर अपने सिंहासन के पीछे छिपा दिया और केवल मंदोदरी को ये बात बताई.
राम-रावण युद्ध के दौरान विभीषण भगवान राम को ये तो बता सके कि रावण की मृत्यु उसकी नाभि में तीर मारने से होगी लेकिन वो तीर कहां है, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं था. यही पता करने के लिए हनुमान जी ज्योतिष का रुप धारण कर लंका पहुंचे और मंदोदरी से मिले. ज्योतिष के असल रूप और मकसद से अनजान मंदोदरी के मुंह से गलती से तीर का राज निकल गया. इसके बाद हनुमान ही वो तीर लेकर राम के पास लौटे और अगले दिन युद्धभूमि में रावण मारा.