नई दिल्ली: कोरोना की दवा को लेकर एक उम्मीद की किरण जग गई है. वैज्ञानिक अब 100 साल पहले तैयार किए गए टीके में जिंदगी देख रहे हैं. ताजा शोध में सामने आया है कि कोरोना वायरस से लड़ने में टीबी की सबसे पुरानी दवा कारगर साबित हो रही है.

पिछले चार महीनों से कोरोना वायरस के विभिन्न इलाजों के शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि बीसीजी (BCG) का टीका काफी प्रभावशाली है. ऐसे देश जहां अभी भी टीबी रोग से बचाव के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है, वहां कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य देशों के मुकाबले कम फैला है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर इस टीके से फायदा कम नजर आ रहा है. लेकिन एक अच्छी बात ये है कि जिनकों टीबी के बचाव के लिए बीसीजी के टीके लगे हैं उनमें कोरोना वायरस अटैक करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है.

ज्ञात हो कि भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण के तहत सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं. बच्चों को टीबी से बचाने के लिए ही ये टीके टीकाकरण में शामिल हैं. अमेरिका, इटली, इंग्लैंड और फ्रांस समते पूरे यूरोप में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत अधिक है. इन देशों ने कई दशक पहले ही बीसीजी के टीके लगाना बंद कर दिया था. अब यही टीका वैज्ञानिकों के शोध का केंद्र बना हुआ है.

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