रांची। पंजाब कैडर के 1992 बैच के भापुसे के अधिकारी रहे डॉ अरुण उराँव ने कहा कि भटिंडा से फ़िरोज़पुर तक कि यात्रा बारिश एवं खराब visibility की वजह से हेलीकॉप्टर से किया जाना संभव नही था , इसलिए DGP पंजाब के सहमति के बाद by road यात्रा की गई । डॉ अरुण उराँव ने कहा कि राज्य पुलिस की प्रस्तावित दो रूट में से एक का चयन SPG के अधिकारियों ने किया ,जिसकी जानकारी राज्य पुलिस को दी गयी । यह जानकारी रूट की सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य आवश्यक इंतज़ाम करने के लिए रास्ते मे पड़ने वाले ज़िले भटिंडा, मुक्तसर एवं फ़िरोज़पुर के DC एवं SSP को दी गयी ।

श्री उरांव ने कहा कि फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक से करीब 30 किमी पहले पीएम कारकेड को सामने एकत्रित भीड़ एवं गाड़ियों को देखकर एक फ्लाईओवर पर रोकना पड़ा । भीड़ की संख्या करीब 200 थी जो प्रधान मंत्री के खिलाफ नारे लगा रही थी । पास के गुरुद्वारे से लाउडस्पीकर द्वारा और लोगों को वहां एकत्रित करने के लिए बुलाया जा रहा था । करीब 15-20 मिनट के बाद सुरक्षा कारणों से प्रधानमंत्री जी को वापस भटिंडा एयर फोर्स स्टेशन के लिए लौटने का निर्णय लिया गया क्योंकि स्थानीय पुलिस के पास भीड़ से निपटने के लिए पर्याप्त बल नही था ।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के यात्रा के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं DGP को साथ होना चाहिए था जो नही थे । पीएम के यात्रा से 72 घंटे पहले SPG के वरीय अधिकारियों द्वारा स्थानीय civil, पुलिस एवं इंटेलिजेंस के पदाधिकारियों के साथ ASL (advanced security liasioning) की जाती है जिसमे सूचना के आधार पर और हर मुमकिन threats को देखते – समझते हुए यात्रा एवं कार्यक्रम की तैयारी की जाती है । ऐसे मौके पर तथा सीमावर्ती राज्य होने की वजह से पंजाब में सुरक्षा को सुव्यवस्थित करने की जिम्मेदारी के लिए पुलिस के आला अधिकारियों (DG, ADG, IG) की प्रतिनियुक्ति की जाती है, जिनकी पंजाब में कमी नही है । साथ ही बड़ी संख्या में commando, STF एवं PAP के अधिकारियों एवं जवानों को लगाया जाता रहा है । जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार को राज्य के वरीष्ठ इंटेलीजेंस एवं law & order अधिकारी द्वारा 5-6 दिन पहले ही ऐसे संभावना की सूचना दे दी गयी थी ।

डा0 उरांव ने कहा कि BKU (क्रांतिकारी) गुट ने इस घटना की जिम्मेवारी ली है। इनके नेताओं के अनुसार PM carcade के route की जानकारी इन्हें पुलिस के अधिकारी द्वारा ही मिली थी । पीएम दौरे के 3-4 दिन पहले से ही BKU के उग्राहा एवं दगौंदा गुट द्वारा इस यात्रा का विरोध जगह जगह पर किया जा रहा था ।

उपरोक्त कारणों से प्रधानमंत्री के यात्रा के दौरान सुरक्षा की ऐसी चूक सोची समझी साजिश के तहत की गई से प्रतीत होता है। इस गंभीर सुरक्षा चूक की जिम्मेवारी से पंजाब सरकार अपने को अलग नही कर सकती है ।

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