Muzaffarpur : मुजफ्फरपुर के चक्कर चौक से निकलकर जर्मनी में अपने नाम का परचम लहराने वाले डॉ. आदित्य शेखर ने मेडिकल साइंस में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जर्मनी के Helmholtz Centre for Infection Research में कार्यरत डॉ. शेखर और उनकी टीम ने Staphylococcus Aureus नामक जानलेवा बैक्टीरिया से होने वाले फेफड़ों के निमोनिया के खिलाफ एक नई और क्रांतिकारी दवा की खोज की है। यह दवा बैक्टीरिया को सीधे मारने के बजाय, उसे रोगजनक बनाने वाले टॉक्सिन को बेअसर करती है। इस नए इलाज की विशेषता यह है कि यह बैक्टीरिया की एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस क्षमता को भी मात देती है, जो आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक मानी जाती है।

डॉ. शेखर की यह खोज अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक जर्नल ‘Cell Press’ में प्रकाशित हुई है और उनकी टीम को इसका पेटेंट भी मिल चुका है। चूहों पर किए गए प्रयोगों में यह दवा प्रभावशाली साबित हुई है, जिससे जानलेवा संक्रमण से उन्हें बचाया गया। अब यह रिसर्च टीम क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी में जुटी है। यदि सब कुछ सही रहा, तो यह दवा जल्द ही दुनिया भर के निमोनिया मरीज़ों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। डॉ. आदित्य शेखर पिछले 8 वर्षों से जर्मनी में काम कर रहे हैं, लेकिन उनका दिल आज भी अपने शहर मुजफ्फरपुर से जुड़ा हुआ है। उनकी यह सफलता न केवल विज्ञान की दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही है, बल्कि मुजफ्फरपुर के युवाओं को भी नई प्रेरणा दे रही है।

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