News Samvad : देश में एंटी पेपर लीक कानून (Centre notifies Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024 आज से लागू हो गया है। कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। यह कानून इसी साल फरवरी में संसद में पारित हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने पर तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

इन परीक्षाओं में पेपर लीक होने पर होगी सजा

कानून लागू होने के बाद यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं इसके दायरे में होंगी। मेडिकल में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा (NEET) पर इन दिनों जमकर विवाद हो रहा है. दरअसल 5 मई को हुए नीट के एग्जाम में सभी को चौंकाते हुए एक यो दो नहीं पूरे 67 बच्चों ने टॉप किया है. वहीं यूजीसी नेट में पेपर लीक होने के बाद भी काफी विवाद हुआ। कई परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक होने के बाद शुक्रवार को सरकार ने एंटी पेपर लीक कानून आज से लागू कर दिया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को कानून को मंजूरी दी थी

पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया।

यहां याद दिला दें कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली NEET परीक्षा गड़बड़ी को लेकर विवादों में हैं। केंद्र की नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इस साल 5 मई को यह एग्जाम लिया था। इसमें लगभग 24 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। रिजल्ट 4 जून को आया था। इसमें 67 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने सौ फीसदी स्कोर हासिल किया यानी 720 नंबर की परीक्षा में उन्होंने पूरे 720 नंबर हासिल किए। ऐसा पहली बार हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने पूरे सौ फीसदी नंबर हासिल किए हो। साल 2023 में सिर्फ दो छात्रों को सौ फीसदी नंबर आए थे। इसके बाद पता चला कि 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। फिर परीक्षा का पेपर लीक होने का भी खुलासा हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसके बाद केंद्र ने ग्रेस मार्क्स वाले 1563 स्टूडेंट्स के स्कोर कार्ड रद्द कर दिए और 23 जून फिर से इनकी परीक्षा लेने की बात कही। NEET में गड़बड़ी और री-एग्जाम की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई करेगा। हालांकि, कोर्ट ने एग्जाम को रद्द करने और काउंसिलिंग पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी है।

नौ रोज में NTA की तीन बड़ी परीक्षाएं रद्द या स्थगित

नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट: परीक्षा 12 जून को दोपहर में हुई थी। शाम को रद्द कर दी। इसे 29,000 छात्रों ने ऑनलाइन मोड में दी। यह परीक्षा 4 साल के इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम में एडमिशन के लिए होती है।
वजह:डेढ़ घंटे तक छात्र लॉग-इन नहीं कर पाए। NTA ने तकनीकी गड़बड़ी बताकर परीक्षा रद्द की। अब तक नई तारीख घोषित नहीं हुई है।

UGC-NET: 18 जून को परीक्षा ली गई थी। 19 जून को रद्द कर दी। देशभर के 9,08,580 छात्रों ने दी। इसमें सफल अभ्यर्थी असिस्टेंट प्रोफेसर, जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए पात्र होते हैं। वजह, शिक्षा मंत्री ने कहा- टेलीग्राम पर पर्चा आ गया था। मूल पर्चे से मिलाया तो वह मेल खा गया। इसलिए रद्द करनी पड़ी।

सीएसआईआर-यूजीसी-नेट: 25 जून से होनी थी, 21 जून को टाली दी। 2 लाख से अधिक छात्रों का रजिस्ट्रेशन था। अभ्यर्थी जूनियर रिसर्च फेलोशिप, लेक्चर-शिप/असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र होते हैं।
वजह: NTA ने जरूरी परिस्थितियां और लॉजिस्टिक इश्यू बताकर परीक्षा स्थगित करने का हवाला दिया।

एग्जाम सेंटर में नहीं मिलेगी हर किसी को एंट्री

ये कानून ऑर्गेनाइज्ड गैंग्स, माफिया और इस तरह के कामों में लगे हुए लोगों से निपटने के लिए लाया गया है। इसके साथ ही अगर सरकारी अधिकारी भी इसमें शामिल पाए जाते हैं, तो उनको भी अपराधी माना जाएगा। किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिसे पब्लिक एग्जाम या उससे जुड़ा काम नहीं दिया गया है, उसे एग्जाम सेंटर में एंट्री नहीं दी जाएगी।

4 साल तक के लिए एग्जाम सेंटर होगा सस्पेंड

एंटी-पेपर लीक कानून के तहत, अगर किसी गड़बड़ी में एग्‍जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है तो उस सेंटर को 4 साल तक के लिए सस्‍पेंड किया जा सकता है। यानी उस सेंटर को अगले 4 साल तक के लिए कोई भी सरकारी एग्जाम कराने का अधिकार नहीं होगा। किसी संस्थान की संपत्ति कुर्क करने और जब्त करने का भी प्रावधान है और उससे परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी।

कानून के तहत, कोई भी अधिकारी जो DSP या ACP के पद से नीचे न हो, परीक्षा में गड़बड़ी के मामलों की जांच कर सकता है। केंद्र सरकार के पास किसी भी मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की शक्ति है।

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