मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था. इसलिए इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे विवाह पंचमी कहते हैं. भगवान राम चेतना और माता सीता प्रकृति शक्ति के प्रतीक हैं. इसलिए चेतना और प्रकृति का मिलन होने से यह दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. इस दिन भगवान राम और माता-सीता का विवाह करवाना बहुत शुभ माना जाता है. इस बार विवाह पंचमी 19 दिसंबर को मनाई जाएगी.
इस दिन विवाह से क्यों डरते हैं लोग- हालांकि कई जगहों पर इस तिथि को विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है. मिथिलाचंल और नेपाल में इस दिन लोग कन्याओं का विवाह करने से बचते हैं. लोगों में ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान राम से शादी के बाद ही माता सीता का जीवन दुखों से भर गया था. इसी वजह से लोग विवाह पंचमी के दिन विवाह करना उत्तम नहीं मानते हैं.
विवाह के बाद सीता को भोगने पड़े थे दुख- प्रभु श्रीराम के साथ सीता का विवाह होने के बाद उन्हें 14 साल का वनवास काटना पड़ा था. राम से विवाह के बाद ही सीता को एक के बाद एक मुश्किल पड़ाव से गुजरना पड़ा. प्रभु श्रीराम के त्यागने के बाद माता सीता को कभी पति का सुख भी नहीं मिला.
हालांकि कुछ जगहों पर मान्यताएं अलग हैं. कहते हैं अगर विवाह होने में बाधा आ रही हो तो विवाह पंचमी पर ऐसी समस्या दूर हो जाती है. मनचाहे विवाह का वरदान भी मिलता है. वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत भी हो जाता है. भगवान राम और माता सीता की संयुक्त रूप से उपासना करने से विवाह होने में आ रही बाधाओं का नाश होता है. बालकाण्ड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है. सम्पूर्ण रामचरित-मानस का पाठ करने से भी पारिवारिक जीवन सुखमय होता है.
सुबह के वक्त स्नान करें और श्रीराम विवाह का संकल्प लें. स्नान करके विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें. भगवान राम और माता सीता की प्रतिकृति की स्थापना करें. भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें या तो इनके समक्ष बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें या “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” का जप करें. इसके बाद माता सीता और भगवान राम का गठबंधन करें. उनकी आरती करें. इसके बाद गांठ लगे वस्त्रों को अपने पास सुरक्षित रख लें.
श्रीराम विवाह के दिन पीले वस्त्र धारण करें. तुलसी या चन्दन की माला से मंत्र या दोहों का यथाशक्ति जप करें. जप करने के बाद शीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें. इनमे से किसी भी एक दोहे का जप करना लाभकारी होगा.
विवाह पंचमी पर मंत्र उच्चारण
1- प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं। नेगसहित सब रीति निवेरीं॥
राम सीय सिर सेंदुर देहीं। सोभा कहि न जाति बिधि केहीं॥
2- पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥
बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥
3- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥