Hazaribagh : रामनवमी का पर्व देशभर में एक साथ मनाया जाता है, लेकिन हजारीबाग की रामनवमी का आगाज एक महीने पहले से ही शुरू हो जाता है। इसकी समृद्धता और भव्यता के कारण इसे इंटरनेशनल रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। होली के बाद से ही हजारीबाग में रामनवमी का रंग चढ़ने लगता है। इस पर्व का इतिहास 100 साल से अधिक पुराना है, और होली के बाद आने वाले पहले मंगलवार को मंगला जुलूस निकालने की परंपरा रही है।

मंगलवार को निकला मंगला जुलूस

मंगल को जन्मे, मंगल ही करते, मंगलमय हनुमान की मंगल कामना के साथ हजारीबाग शहर और जिलेभर में मंगलवार की देर शाम रामनवमी का पहला मंगला जुलूस गाजे-बाजे के साथ निकाला गया। इस जुलूस के साथ ही हजारीबाग में रामनवमी महापर्व का आगाज हो गया। लगभग 1 दर्जन से अधिक विभिन्न अखाड़ों का जुलूस सड़कों पर निकला, जो अलग-अलग मार्गों से होते हुए महावीर स्थान पर पहुंचा। वहां मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान राम भक्तों का जन सैलाब सड़कों पर देखने को मिला, और भक्त नाचते-गाते हुए शक्ति प्रदर्शन करते नजर आए। जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे।

1955 से मंगला जुलूस की परंपरा

स्थानीय युवा रुद्र राज ने बताया कि होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार से मंगला जुलूस निकालने की परंपरा रही है। साल 1955 से हजारीबाग में मंगला जुलूस निकाला जाता रहा है। रामनवमी तक प्रत्येक मंगलवार को विभिन्न अखाड़े पूरे उत्साह के साथ मंगला जुलूस निकालते हैं। यह परंपरा केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि हजारीबाग जिले के ग्रामीण इलाकों में भी मंगला जुलूस निकालने की परंपरा है।

हजारीबाग की पहचान: मंगला जुलूस

मंगला जुलूस की भव्यता देखने लायक होती है। शहर के दर्जनों अखाड़े और हजारों राम भक्त सड़कों पर राम उत्सव की तैयारी मनाने के लिए निकलते हैं। अखाड़े के विशाल वाल्मीकि ने कहा कि हजारीबाग की एक पहचान इसके रामनवमी से है। नई पीढ़ी के लोग भी इस परंपरा से जुड़ रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि रामनवमी में राम भक्तों को नशा मुक्ति का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि रामनवमी जुलूस को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया जाए। रामनवमी के दिन राम भक्तों पर पुष्प वर्षा भी की जाती है।

हजारीबाग की रामनवमी आस्था, परंपरा और भव्यता का प्रतीक है। मंगला जुलूस के साथ इसकी शुरुआत होती है, जो भक्तों के उत्साह को बढ़ाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेश देता है। जैसे-जैसे रामनवमी निकट आती है, भक्ति और उल्लास चरम पर पहुंच जाता है।

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