नई दिल्ली। अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों, तीर्थयात्रियों, टूरिस्टों, छात्रों और अन्य लोगों को अपने राज्य पहुंचाने के लिए रेलवे ने ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन (Shramik Special trains) चलाने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत आज से मजदूर दिवस के मौके पर की गई है। आज प्रधानमंत्री के साथ अहम बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड को स्पेशल ट्रेन चलाने की मंजूरी दी। हालांकि अब राज्य सरकारों पर रेलवे के साथ मिलकर अपने प्रदेश के फंसे हुए लोगों को लाने की जिम्मेदारी है।

मजदूरों को कोई किराया नहीं

रेलवे के अधिकारी ने कहा कि ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन में कामगारों को ले जाने के लिए रेलवे राज्यों से किराया वसूलेगा। ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन के किराये में शयन यान श्रेणी का टिकट, सुपरफास्ट शुल्क के 30 रुपये और खाने तथा पानी के लिये 20 रुपये का शुल्क शामिल होगा

बीच सफर में खाना रेलवे देगी

अगर ट्रेन लंबे रूट पर जा रही है तो यात्रियों को बीच सफर में भी खाना मिलेगा। बीच सफर में खाने का बंदोबस्त रेलवे की तरफ से किया जाएगा। गंतव्य स्थान पहुंचने के बाद यात्रियों को उनके घर तक कैसे भेजा जाए, स्टेशन पर स्क्रीनिंग, जरूरत पड़ने पर क्वारंटीन करने जैसी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी।

राज्य सरकारों के अनुरोध पर चलेंगी ट्रेन

ये स्पेशल ट्रेनें पॉइंट-टू-पॉइंट राज्य सरकारों के अनुरोध पर चलेंगी। इस दौरान स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। ट्रेन संचालन में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए राज्य सरकार और रेलवे मिलकर स्पेशल नोडल ऑफिसर की नियुक्ति कर सकते हैं। इनकी जिम्मेदारी श्रमिक स्पेशल ट्रेन का उचित संचालन होगा।

यात्रियों की पहले होगी स्क्रीनिंग

यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी कि ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग सही तरीके से हो और स्वस्थ लोग ही ट्रेन में सफर करें। अलग-अलग जगहों से लोगों को सैनिटाइज बस द्वारा स्टेशन तक लाने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की होगी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का प्रमुखता से पालन करना होगा।

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