नई दिल्ली| कोरोना ने पूरे देश की हालत खराब कर दी है| और रोज आ रहे नए आकड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है| ऐसे में अगर आप खुद होम आइसोलेशन में है तो कुछ बातें आपकी मदद करेंगी जो आपको इस समय में मानसिक तनाव से बचा के रखेंगी|

आमतौर पर होम आइसोलेशन की अवधि 14 दिनों तक रहती है. अगर मरीज को आखिरी 10 दिनों में बुखार या अन्य कोई लक्षण नहीं है, तो वो डॉक्टर से पूछकर होम आइसोलेशन खत्म कर सकते हैं|

ये बातों का रखे ध्यान 

 कोरोना वायरस शरीर के साथ-साथ मरीजों को मानसिक तौर पर भी कमजोर कर देता है| इसलिए इलाज के दौरान मरीजों को अपनी मानसिक सेहत का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए| आप होम आइसोलेशन में रहते हुए भी फोन और वीडियो कॉल के जरिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के संपर्क में रह सकते हैं| इस दौरान अपनी पसंदीदा किताबें पढ़ें| आप मोबाइल पर अपने पसंदीद शो देखने के साथ हल्के-फुल्के गेम भी खेल सकते हैं| ध्यान रखें कि खुद पर बहुत ज्यादा दबाव ना डालें और खूब आराम करें|

इन लक्षणों  को ना  करे नजर अंदाज

 होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को कुछ और भी लक्षणों पर गौर करने की जरूरत है. बुखार के अलावा सांस लेने मे कठिनाई, छाती में लगातार दर्द या दबाव होने, मानसिक भ्रम या फिर होठ या चेहरे नीले पड़ जाने जैसे लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर को तुरंत बताएं|

 

घर के सदस्य भी ऐसे करे देखभाल 

अगर घर में कोई कोरोना का मरीज है तो 24 से 50 साल का कोई भी व्यक्ति उसकी देखभाल कर सकता है| मरीज की देखभाल करते समय हमेशा ट्रिपल लेयर मास्क, डिस्पोजेबल ग्लव्स और एक प्लास्टिक एप्रन का उपयोग करें. एप्रन को हमेशा सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ करें. बिना हाथ धोये अपने नाक, मुंह और चेहरे को ना छुएं|

शौचालय जाने से पहले और बाद में, खाना बनाने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छे से धोएं| रोगी के थूक, लार और छींक के सीधे संपर्क में आने से बचें. मरीज के उपयोग की किसी भी चीज को ना छुएं| मरीज को खाना देते समय उसके सीधे संपर्क में ना आएं| खाना किसी स्टूल या टेबल पर रख दें| मरीज द्वारा इस्तेमाल बर्तन को उठाते समय डिस्पोजेबल ग्लव्स जरूर पहनें|

मरीज के कमरे, बाथरूम और शौचालय के सतह को हर दिन सैनेटाइज करें. अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करें और ऐप पर 24 घंटे नोटिफिकेशन और लोकेशन ट्रैकिंग, जीपीएस ट्रैकिंग को ऑन रखें|

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