युवा अगर समय रहते अपनी सेहत का ध्यान रखें तो बुढ़ापे की कई बीमारियों से बच सकते हैं। आंखों से जुड़े रोग भी ऐसे ही हैं, जिनसे बचा जा सकता है…
बहुत साधारण-सी बात है कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारे आंखें कमजोर होने लगती हैं। इसकी वजह पलकों की झुर्रियां, रेटिना का सिकुड़ना और आंखों की मसल्स का कमजोर होना होते हैं। साथ ही मोतियाबिंद जैसे रोग भी होते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ आंखों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।
ये सभी प्राकृतिक कारण हैं। जबकि हम लोग तो टेक्नो वर्ल्ड में जीने के नाम पर अपनी आंखों के खुद ही दुश्मन बन बैठे हैं…बिना पलकें झपकाए देर तक मोबाइल स्क्रीन जो निहारते रहते हैं। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ आंखों की सेहत बहुत तेजी से गिर रही है। यहां जानें बढ़ती उम्र में होनेवाली आंखों से जुड़ी बीमारियों और उनके इलाज के बारे में…
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-लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और टीवी देखने के कारण हम अपनी पलकें सामान्य से कम झपकते हैं। इस कारण हमारी आई ग्लैंड सूख जाती हैं और आंखों में ऐसा लगने लगता है, जैसे कुछ किरकिरा रहा है। जबकि वास्तव में कुछ होता नहीं है। आंसू बनानेवाली ग्लैंड के सूख जाने से ये समस्याएं होती हैं…
– आंखों में जलन होना
– धुंधला दिखना
– नजर कमजोर होने से सिर में दर्द रहना
– आखें लाल होना
-तेज रोशनी सहन ना कर पाना
-प्राकृतिक रोशनी में आंखें ना खोल पाना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
क्यों हो जाती हैं आंखे लाल, जानें कारण
लगातार आंसू बहना
-हमारी आंखों की जिन नलियों में आंसू बनते हैं यदि वहां किसी कारण सूजन आ जाए तो ये आंसू बाहर नहीं निकल पाते हैं। इन नलियों को मेडिकल की भाषा में टियर डक्ट्स कहते हैं। टियर डक्ट्स से बाहर ना निकल पाने की स्थिति में आंसू सेक बैग (एक तरह की थैली) में जमा होने लगते हैं।
-आंखों में जमा हुए ये आंसू इंफेक्शन की वजह बन सकते हैं, जिस कारण लगातार आंखों से पानी बहते रहने की समस्या हो जाती है। इसका इलाज डॉक्टर से तुरंत कराना चाहिए। यूं ही मेडिकल स्टोर से दवाएं लेकर उपयोग ना करें।
बहुत सामान्य है प्रेसबियोपिया की समस्या
-कभी प्रेसबियोपिया की समस्या 40 की उम्र के बाद हुआ करती थी। लेकिन अब यह टीनेजर्स में भी देखने को मिल जाती है। इसके लिए हमारी लाइफस्टाइल, खान-पान और गैजेट्स का सबसे अधिक जिम्मेदार है।
-इस समस्या में व्यक्ति को पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती है। किसी को पास की चीजें पढ़ने में दिक्कत आती है तो किसी को दूर की चीजें पढ़ने में। इन समस्याओं को नजर का चश्मा, रीडिंग ग्लासेज़ और अच्छी डायट के जरिए सुधारा जा सकता है।
संभव है मोतियाबिंद का इलाज
मोतियाबिंद
-मोतियाबिंद में पेशंट को धुंधला दिखाई देता है और जब समस्या अधिक बढ़ जाती है तो दिखाई देना बिल्कुल बंद हो जाता है। कई बार मोतियाबिंद के कारण अलग-अलग रोशनी में वस्तुओं को देखना और पहचानना मुश्किल होता है। क्योंकि कई बार चीजें एक की जगह दो दिखाई देती हैं तो कई बार इमेज क्लियर नहीं होती है।
-लेकिन एक सामान्य सर्जरी के द्वारा मोतियाबिंद की समस्या का इलाज संभव है। इसलिए आपको इस समस्या के साथ परेशान रहने की जरूरत नहीं है बल्कि आंखों के डॉक्टर से मिलकर आप इस बीमारी का इलाज करा सकते हैं।
ग्लुकोमा की समस्या
-ग्लुकोमा आंखों से संबंधित एक ऐसी बीमारी है, जिसके शुरुआती लक्षणों के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। यह रोग अनुवांशिक तौर पर भी हो सकता है और शुगर के बढ़े हुए स्तर के कारण भी हो सकता है। कई बार दवाओं के रिऐक्शन के कारण भी ग्लुकोमा की समस्या होती है। रोगी की स्थिति के आधार पर डॉक्टर इसका इलाज करते हैं।
चश्मे से संभव है आंखों की सुरक्षा
ऐसे बचें इन समस्याओं से
-आंखों की सेहत से जुड़ी इन समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपना स्क्रीन टाइम कम करें।
-इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर काम करते समय पलकें झपकाने का ध्यान रखें, आंखों से निश्चित दूरी पर इन गैजेट्स को रखकर इनका उपयोग करें।
-दिन में दो बार साफ और ठंडे पानी से आंखें धुलें। आंखों में 2 से 3 मिनट तक ठंडे पानी के छींटे दें।
-नहाते समय मुंह में पानी भरकर रखें और मग में पानी लेकर उसमें आंखों को कुछ देर के लिए डुबोंए। इस दौरान लगातार पलकें झपकाते रहें। इससे आंखों की थकान दूर होगी और रोशनी सही बनी रहेगी।
-यदि कई घंटे स्क्रीन पर काम करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान रोशनी की सही व्यवस्था हो ताकि आंखों पर बुरा असर ना पड़े।
-किसी आई स्पेशलिस्ट से मिलकर एक अच्छी आई ड्रॉप के बारे में बात करें, जो आपकी आंखों पर स्क्रीन से पड़नेवाले बुरे असर को कम करे और आपकी आंखें लंबे समय तक स्वस्थ बनी रहें।