पिछले पांच महीनों में दुनिया में 15 से 24 साल के युवाओं में संक्रमण का खतरा तीन गुना तक बढ़ा है
युवा अपनी इम्युनिटी को मेंटेन करने के लिए अच्छी डाइट और अच्छी नींद लें, पॉजिटिव रहें, बाहर का खाना न खाएं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अब युवाओं के लिए अलर्ट जारी किया है। इसमें कहा है कि अब 20 से लेकर 40 साल के लोगों के जरिए कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है। युवा खुद भी संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं चल पा रहा है, इसके चलते वे बुजुर्गों व बीमार लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं।

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस(एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि युवाओं को इसलिए सबसे ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि इस वक्त युवा ही ऑफिस जा रहे हैं, वे ही ग्रुप में घूम रहे हैं, बाहर पार्टी कर रहे हैं। युवा कॉन्ट्रैक्ट वर्किंग करने भी बाहर जा रहे हैं। इसके चलते अब युवाओं में संक्रमण की दर बढ़ रही है। वे दूसरों को संक्रमित भी कर रहे हैं।

किसी से क्लोज कॉन्टैक्ट न बनाएं
डॉक्टर उमा कहती हैं कि कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने के लिए एक युवा को पर्याप्त डोज की जरूरत होती है। युवाओं में कम डोज जाने पर सिंपटम्स नहीं दिखाई देते। यदि दो कोरोना संक्रमित यूथ बिना मास्क पहने 15 मिनट तक बात करते हैं और उनके बीच की दूरी तीन फीट से कम है तो यह क्लोज कॉन्टैक्ट टाइम कहलाता है।

इसमें कोरोना की पर्याप्त डोज लोड हो जाती है, ऐसे में जान जाने का रिस्क भी ज्यादा होता है। इसलिए यदि आप युवा हैं तो किसी दोस्त या व्यक्ति के साथ क्लोज कॉन्टैक्ट बिल्कुल न बनाएं। बातचीत के दौरान मास्क लगाएं, किसी से मिलें तो कम समय में अपनी बात कहकर दूर हो जाएं। ऐसा करने से संक्रमण की डोज कम जाएगी।

युवा गाइडलाइन नहीं फॉलो कर रहे हैं

डॉक्टर उमा कहती हैं कि युवा आजकल न खुद को सुरक्षित रखने के उपाय फॉलो कर रहे हैं और न ही कोरोना की गाइडलाइन को मान रहे हैं। दिल्ली में भी यही हालात हैं। इन लोगों की वजह से परिवार वालों को ज्यादा रिस्क है।
डॉक्टर उमा कहती हैं कि एसिंप्टोमैटिक मरीजों में कोरोना का संक्रमण नहीं दिखता है, उनमें हल्के लक्षण भी होते हैं और वे लगातार दूसरे लोगों को संक्रमित करते रहते हैं। एसिंप्टोमैटिक के ज्यादातर केस युवाओं में पाए जा रहे हैं।

पांच महीने में कितना खतरा बढ़ा है?
पिछले पांच महीनों में 15 से 24 साल के युवाओं में संक्रमण का खतरा तीन गुना तक बढ़ा है। WHO ने 24 फरवरी से 12 जुलाई के तक के बीच 60 लाख कोरोना केस का अध्ययन किया। इसमें साफ दिख रहा है कि किस तरह से बच्चों और युवाओं में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है।

एक दिन से लेकर 4 साल तक के बच्चों में कोरोना के मामले 0.3% से बढ़कर 2.2% तक पहुंच गए हैं।
पांच से लेकर 14 साल तक के बच्चों में संक्रमण की दर 0.8% से बढ़कर 4.6% तक पहुंच गई है।
15 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों में संक्रमण की दर 4.5% से 15% तक पहुंच गई है।
युवाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

डॉक्टर उमा कहती हैं कि युवाओं में यदि लक्षण दिखते हैं तो उन्हें उसका तुरंत टेस्ट कराना चाहिए, इसे छिपाएं नहीं। इसके अलावा वे कोविड हेल्पलाइन पर फोन करके भी अपने सिंपटम्स के बारे में सलाह ले सकते हैं।
अगर ट्रैवलिंग कर रहे हैं तो एक छोटा हैंड सैनिटाइजर पास में रखें। जब भी किसी सतह को छुऐं तो अच्छे से हाथों को सैनिटाइज करें। कोशिश करें कि लिफ्ट का इस्तेमाल न करें। कोहनी का इस्तेमाल करके दरवाजे को खोलें।
युवाओं को अपनी इम्युनिटी को मेनटेन करने के लिए अच्छी डाइट और अच्छी नींद लेनी चाहिए, हमेशा पॉजिटिव रहें, बाहर का खाना बिल्कुल न खाएं। कोरोना से बचाने में इम्युनिटी सबसे अहम है।
भारत में युवाओं को कितना खतरा?

डॉक्टर उमा कहती हैं कि भारत में यह आकलन करना थोड़ा मुश्किल है कि युवाओं को जान जाने का कितना खतरा है। यहां ऐसे लोगों की जान जाने का ज्यादा खतरा है, जिनकी इम्युनिटी कम है या कोई बीमारी है।
भारत में युवाओं को कोरोना का खतरा पहले से ही ज्यादा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत कोरोना से मरने वालों में करीब 50 फीसदी लोग 60 साल से कम उम्र के हैं।
मई महीने में आए सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भी देश में 40% से 45% कोरोना संक्रमित युवा थे। इसके पीछे एक वजह यह भी है, क्योंकि भारत में पश्चिमी देशों की तुलना युवा आबादी ज्यादा है, जबकि बुजुर्ग कम हैं।
युवा खुद को कोविड-19 से कैसे सेफ रख सकते हैं?

युवाओं को एक बात का हमेशा याद रखना चाहिए कि वे भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए जो जरूरी उपाय और नियम हैं, उनका पालन जरूर करें।
युवाओं को इसलिए भी अपने हेल्थ का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यदि युवा कोरोना से संक्रमित होंगे तो बुजर्गों को ज्यादा खतरा होगा और ये लोग हाई रिस्क कैटेगरी में हैं। कोरोना से 80% मौतें 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की हुई है।
युवा और अन्य लोगों को खुद को सुरक्षित रखने के लिए सभी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए, यदि बीमार महसूस करें तो खुद को आइसोलेट करते हुए, जरूरी कदम उठाना चाहिए।
1.9 अरब आबादी वाले पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कोरोना का नया दौर

WHO के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. तकेशी कसाई का कहना है कि ‘महामारी बदल रही है। 20, 30 और 40 साल की उम्र तक के लोग कोरोना से ज्यादातर संक्रमित हो रहे हैं और इनमें से ज्यादातर इससे अंजान हैं। करीब 1.9 अरब आबादी वाले पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कोरोना नए दौर में प्रवेश कर गया है। इसके चलते इन देशों की सरकारों को स्थायी रूप से संक्रमण के कई गुना तक बढ़ने की चुनौती का सामना करना होगा।’ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, जापान आदि देश आते हैं, अब यहां पर बड़ी संख्या में 40 साल से कम उम्र के लोग वायरस का शिकार हो रहे हैं।

युवाओं को क्यों माना जा रहा है जिम्मेदार?

ब्रिटेन, जापान और जर्मनी से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक कई देशों में युवाओं को कोरोनावायरस के नए मामलों में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इन देशों के अधिकारियों का कहना है कि युवा लॉकडाउन के चलते बोर हो गए हैं, इसलिए अब वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं और घर से बाहर निकल रहे हैं, रेव पार्टियां कर रहे हैं।

दुनिया के युवा क्या लापरवाही कर रहे हैं?

जापान के टोक्यो शहर में कोरोनावायरस की दूसरी लहर आई है। यहां भी नए मामलों में तेजी की वजह युवाओं को माना जा रहा है, क्योंकि यहां युवाओं ने लेटनाइट पार्टी और बार जाना शुरू कर दिया है।
जापान में 20 और 29 साल के लोगों में सबसे ज्यादा संक्रमण पाया गया है। कुछ ऐसे ही हालात ऑस्ट्रेलिया में भी देखने में आ रहे हैं। इसके चलते यहां विक्टोरिया में रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट लॉकडाउन भी लगाया गया है।
स्पेन के बार्सिलोना, उत्तरी फ्रांस और जर्मनी में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते स्पेन और जर्मनी ने भी नाइट लॉकडाउन लगा दिया है। फ्रांस में 15 और 44 साल के लोगों में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले आए हैं।
युवाओं को भी जान का खतरा है
WHO के डायरेक्टर जनरल टेडरस एडनॉम गैब्रिएसिस कहते हैं कि ‘हमारे सामने ये चुनौती है कि युवाओं को कोरोनावायरस के खतरे के बारे में कैसे समझाएं। युवाओं की भी कोरोना से जान जा सकती है और वो दूसरों में भी इसे फैला सकते हैं।’ WHO ने युवाओं को पार्टी नहीं करने की चेतावनी जारी की है। संगठन ने युवाओं से अपील भी की है कि वे इस संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करें।

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