नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने गुरुवार को 41 लाख इंडस्ट्रियल वर्कर्स को ESIC स्कीम के जरिए लाभ देने के ​लिए नियमों में ढील दी है. कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी की वजह से नौकरी जाने वालों के ​लिए यह ढील 24 मार्च से 31 दिसंबर 2020 तक के लिए लागू होगा. इस प्रस्ताव को एम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (ESIC) बोर्ड ने मंजूरी दी, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार (santosh Gangwar) कर रहे थे. ESIC ने कैलकुलेट किया है कि इससे मार्च से दिसंबर के बीच करीब 41 लाख लाभार्थियों को राहत मिल सकेगी. ईएसआईसी एक सोशल सिक्योरिटी संस्था है जो श्रम मंत्रालय के अधीन है.

ESIC बोर्ड के अमरजीत कौर ने इस मंजूरी के बाद कहा कि इसके तहत ESIC के अंतर्गत आने वाले योग्य वर्कर्स को अपनी सैलरी का 50 फीसदी तक कैश बेनिफिट (Cash benefit in ESIC Scheme) प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि इस फैसले को मंजूरी मिल चुकी है और वर्कर्स के एक सेग्मेंट को इससे लाभ मिल सकेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर क्राइटेरिया में कुछ और राहत मिलती तो इससे करीब 75 लाख वर्कर्स को सीधे तौर पर लाभ मिलता.

क्या है ईएसआईसी स्कीम?प्रति महीने 21,000 रुपये या इससे कम सैलरी प्राप्त करने वाले इंडस्ट्रियल वर्कर्स ESIC स्कीम के अंतर्गत आते हैं. हर महीने उनकी सैलरी का एक हिस्सा कटता है, जिसे ESIC के मेडिकल बेनिफिट के तौर पर डिपॉजिट किया जाता है. वर्कर्स की सैलरी से हर महीने 0.75 फीसदी और नियोक्ता की तरफ से 3.25 फीसदी प्रतिमाह ESIC किटी में जमा होता है.

वर्कर्स खुद कर सकेंगे क्लेम
बोर्ड के फैसले के मुताबिक, अब इसके लिए वर्कर्स के क्लेम को नियोक्ता की तरफ करने की जरूरत नहीं होगी. मीटिंग के एजेंडे के मुताबिक, क्लेम को सीधे तौर पर ESIC के शाखा कार्यालय में जमा किया जा सकता है और शाखा कार्यालय स्तर पर ही नियोक्ता के जरिए क्लेम का वेरिफिकेशन किया जाएगा. इसके बाद वर्कर्स के खाते में सीधे तौर पर क्लेम की रकम भेज दी जाएगी.

नौकरी जाने के 30 दिन के अंदर कर सकेंगे क्लेम
नौकरी जाने की तारीख के 30 दिन बाद से ही इस रकम के लिए क्लेम किया जा सकेगा. पहले यह बाध्यता 90 दिनों तक के लिए थी. क्लेम के आईडेंटिफिकेशन के लिए ​वर्कर्स के 12 डिजिट आधार नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा. यह ‘अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना’ के तहत किया जाएगा. केंद्र सरकार ने 2018 में इस स्कीम को लॉन्च किया था, जिसमें 25 फीसदी बेरोजगारी लाभ देने का प्रस्ताव था. हालांकि, उस दौरान इसमें कुछ तकनीकी खामियां थीं. हालांकि, मंत्रालय (Ministry of Labour) की तरफ से इस बारे में कोई औपचारिक बयान आना बाकी है.

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