जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में पिछले दो वर्ष में करीब 370 लोगों की मौत ट्रेन से कटकर हुई। दिसम्बर-जनवरी में सर्वाधित मौतें रेलवे लाइनों और इनके आसपास पतंग उड़ाने के दौरान होती हैं। इस साल के शुरुआती पांच दिनों में चार लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। वही वर्ष 2018 में 190 और साल 2018 में करीब 180 लोगों की जान ट्रेन कटकर गई है। मौतों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है। पिछले कुछ आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2018 में 180, 2017 में 165, 2016 में 160, 2015 में 145 और साल 2014 में करीब 125 लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हुई।

जयपुर में साल 2019 में जगतपुरा में 15, मालवीय नगर में 10, सांगानेर में आठ, जयपुर जक्शन पर छह, गांधी नगर में आठ और दुर्गापुरा में चार मौतें हुई हैं। जबकि खिरणी फाटक से कनकपुरा के बीच 24 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इन मौतों में कुछ आत्महत्या तो कुछ लापरवाही पूर्वक रेलवे लाइन पार करने से हुई हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि ट्रेन से कट कर काल का ग्रास बनने वालों में 80 फीसदी युवा हैं। जयपुर शहर में सबसे ज्यादा हादसे गौरव टॉवर, जगतपुरा फाटक, इंडूणी फाटक, दादी का फाटक और गोनेर फाटक पर होते हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा मौतें खिरणी फाटक से कनकपुरा के बीच हो रही हैं।

जयपुर में करीब 40 किलोमीटर लम्बी रेलवे लाइन बिछी हुई है। इन पर रोजाना करीब तीन 100 ट्रेनें गुजरती हैं। रेलवे लाइन के दोनों तरफ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यही वजह है कि पटरियां पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग लचर सुरक्षा व्यवस्था का फायदा उठाकर ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर जाते हैं। सुरक्षा के लिहाज से रेलवे ने सी स्कीम, टोंक फाटक पुलिया और बनीपार्क में रेलवे लाइन के पास नए सिरे से ऊंची दीवारों का निर्माण करवाया है। इससे यहां हादसों में कमी आई है।

रेलवे स्टेशन पर जीआरपी और आरपीएफ की तैनाती के बावजूद लोग बेधड़क होकर पटरियां पार करते हैं। ऐसे पटरी पार करना रेलवे कानूनों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई का प्रतिशत बहुत कम है। पतंग का त्यौहार शुरू होते ही रेलवे पटरियों और प्रतिबंधित सीमा में बच्चे बेरोक-टोक पतंग उड़ाने लगते हैं।

जीआरपी थानाधिकारी ने राजेश कुमार ने बताया कि हादसों को रोकने के लिए समय-समय पर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। आरपीएफ के साथ पुलिस भी हादसों को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है। रेलवे भी अपने स्तर पर हादसे रोकने के लिए कोशिशें करता है। पटरी पार करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है।

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