आज हम आपको मोदी सरकार की एक ऐसी ही पेंशन स्कीम के बारे में बता रहे हैं जिसमें अपने भविष्य को सुरक्षित करने के साथ ज्यादा पेंशन भी पा सकते हैं. इसमें आपको 1000 रुपये लगाकर 2 लाख रुपये मिलेंगे. साथ ही, जीवनभर 5000 रुपये पेंशन मिलेगी.
रिटायरमेंट के बाद पैसे की चिंता हर किसी को होती है. घर खर्च कैसे चलेगा इसके बारे में सोचकर ही इंसान परेशान रहता है. आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने खास पेंशन स्कीम शुरू की है. जहां निवेश कर आप अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं. आज हम आपको मोदी सरकार की एक ऐसी ही पेंशन स्कीम के बारे में बता रहे हैं जिसमें अपने भविष्य को सुरक्षित करने के साथ ज्यादा पेंशन भी पा सकते हैं. इसमें आपको 1000 रुपये लगाकर 2 लाख रुपये मिलेंगे. साथ ही, जीवनभर 5000 रुपये पेंशन मिलेगी. आइए जानें स्कीम के बारे में और बताते हैं कि कैसे करा सकते हैं आप इस स्कीम में रजिस्ट्रेशन…
क्या है NPS
एनपीएस एक पेंशन प्रोडक्ट है और 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए इसे शुरू किया गया था. लेकिन, बाद में 2009 में आम लोगों के लिए इसे खोल दिया गया. 2011 में कॉरपोरेट्स कर्मचारियों को इसमें निवेश की मंजूरी मिली.
कैसे कैलकुलेट करें NPS से मिलने वाला लाभ
मान लीजिए आप 25 साल तक इस स्कीम में हर महीने 1000 रुपये लगाते हैं. जिस पर आपको 8 फीसदी का इंटरेस्ट मिलता है तो आपका टोटल पेंशन वेल्थ 9.49 लाख तो हो जाएगा. जिसमें से आप 40 फीसदी यानी 1.89 लाख रुपये निकाल सकते हैं. बाकी बचे पैसे आपको पेंशन के तौर पर हर महीने मिलेंगे. इस लिहाज से आपको हर महीने 5,062 रुपये मिलेंगे.
क्या है NPS: बचत, निवेश और टैक्स को लेकर हमारी इस खास सीरीज में इस बार हम बात कर रहे हैं एनपीएस यानि न्यू पेंशन स्कीम की. एनपीए एक पेंशन प्रोडक्ट है और 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए इसे शुरू किया गया. लेकिन, बाद में 2009 में आम लोगों के लिए इसे खोल दिया गया. 2011 में कॉरपोरेट्स कर्मचारियों के लिए इसमें निवेश की मंजूरी मिली.
उम्र की सीमा
18-65 साल तक की उम्र वाला कोई भी शख्स इसमें निवेश कर सकता है. एनपीएस, परंपरागत पेंशन स्कीम्स से अलग है. इस पेंशन फंड के निवेशकों का पैसा शेयर और बॉन्ड मार्केट में लगाया जाता है. मुनाफा बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर होता है. एनपीएस में लॉन्ग टर्म निवेश फायदेमंद होता है. एनपीएस में नियमित निवेश से अच्छा मुनाफा होता है.
दो तरह के होते हैं अकाउंट
एनपीएस में दो तरह के अकाउंट होते हैं, टियर – 1 अकाउंट और टियर – 2 अकाउंट. एनपीएस के लिए टियर – 1 अकाउंट अनिवार्य है, जबकि टियर – 2 अकाउंट वैकल्पिक है. टियर – 1 अकाउंट में टैक्स बेनिफिट मिलता है. टियर – 2 अकाउंट के लिए टियर – 1 अकाउंट होना जरूरी है. टियर – 1 अकाउंट में कम से कम 500 रुपये प्रति महीने निवेश करना अनिवार्य है. इस तरह, टियर – 1 अकाउंट में 6000 रुपये सालाना निवेश करना जरूरी है.
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ऐसे समझें
एनपीएस में निवेश बीच में रोकने पर अकाउंट फ्रीज हो सकता है और दोबारा ओपन करवाने पर हर साल के हिसाब से 100 रुपये पेनल्टी देनी पड़ती है. टियर – 2 अकाउंट में टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता, लेकिन टियर-2 अकाउंट से कभी भी पैसा निकालना संभव है. टियर-2 म्युचुअल फंड की तरह काम करता है और टियर-2 में चार्जेस म्युचुअल फंड्स से कम हैं.
उम्र की सीमा: 18-65 साल तक उम्र वाला कोई भी शख्स इसमें निवेश कर सकता है. एनपीएस, परंपरागत पेंशन स्कीम्स से अलग है. इस पेंशन फंड के निवेशकों का पैसा शेयर और बॉन्ड मार्केट में लगाया जाता है. मुनाफा बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर होता है. एनपीएस में लॉन्ग टर्म निवेश फायदेमंद होता है. एनपीएस में नियमित निवेश से अच्छा मुनाफा होता है.
डॉक्युमेंट और फॉर्म
एनपीएस में पीओपी या सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से निवेश संभव है. बैंक और चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस सर्विस प्रोवाइडर होते हैं. एनएसडीएल की साइट पर सर्विस प्रोवाइडर्स की लिस्ट मौजूद है. एनपीएस का फॉर्म एनएसडीएल की साइट से डाउनलोड कर सकते हैं. केवाईसी फॉर्म के साथ डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे और परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (पीआरएएन) जारी किया जाएगा. पीआरएएन मिलने के बाद निवेश शुरू किया जा सकता है. ई-एनपीएस भी मुमकिन है और कारोबारी भी एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.
कौन कर सकता है निवेश
कॉरपोरेट कर्मचारी निजी तौर पर एनपीएस में निवेश कर सकते हैं. कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के नाम पर निवेश कर सकती हैं. कंपनियों को उनके कॉन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स में छूट मिलेगी. ईपीएफ के साथ-साथ एनपीएस में निवेश किया जा सकता है. एनपीएस में निवेश की उम्र 18 से 65 साल है. एनआरआई भी एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.
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निवेशक के पास 2 विकल्प
एनपीएस में निवेशक के पास 2 विकल्प होते हैं एक्टिव और ऑटो. एक्टिव निवेशक को एसेट क्लास खुद चुनने का हक होता है और एक्टिव निवेशक को 3 तरह के एसेट क्लास दिए जाते हैं. पहला एसेट क्लास ईई क्लास होता है और ईई में पैसा इक्विटी में डाला जाता है. ईई क्लास में 50 पैसे इक्विटी में जाता है. एक्टिव ऑप्शन में निवेश तय योजना के मुताबिक होता है.
डॉक्युमेंट और फॉर्म:एनपीएस में पीओपी या सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से निवेश संभव है. बैंक और चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस सर्विस प्रोवाइडर होते हैं. एनएसडीएल की साइट पर सर्विस प्रोवाइडर्स की लिस्ट मौजूद है. एनपीएस का फॉर्म एनएसडीएल की साइट से डाउनलोड कर सकते हैं. केवाईसी फॉर्म के साथ डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे और परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (पीआरएएन) जारी किया जाएगा. पीआरएएन मिलने के बाद निवेश शुरू किया जा सकता है. ई-एनपीएस भी मुमकिन है और कारोबारी भी एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.
दूसरा एसेट क्लास होता है सी, और एसेट क्लास सी में कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है. तीसरा एसेट क्लास होता है जी, और जी एसेट क्लास में केंद्र और राज्य सरकार के बॉन्ड और सिक्योरिटीज में निवेश होता है. सी और जी एसेट क्लास में निवेश की सीमा तय नहीं है.
ऑटो ऑप्शन में फंड मैनेजर निवेशक की उम्र के मुताबिक एसेट क्लास का चुनाव करते हैं. 18-35 साल के निवेशक का 50 फीसदी इक्विटी, 30 फीसदी कॉरपोरेट बॉन्ड्स और 20 फीसदी सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है. 36 साल के बाद हर साल 2 फीसदी इक्विटी निवेश कम हो जाता है. 55 साल तक पहुंचने पर इक्विटी केवल 10 फीसदी रह जाएगा. ऑटो ऑप्शन में रिटायरमेंट तक इक्विटी में निवेश कम हो जाता है.
टैक्स बेनेफिट
एनपीएस में टैक्स बेनिफिट 2 तरीके से मिलते हैं. बेसिक सैलरी और डीए के 10 फीसदी एनपीएस निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. सेक्शन 80 सीसीडी-1 के तहत डेढ़ लाख तक छूट का फायदा उठाया जा सकता है. सेक्शन 80 सीसीडी-1(बी) के तहत 50000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है. कॉरपोरेट्स को भी अपने कर्मचारियों के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन पर 80सीसीडी के तहत टैक्स बैनेफिट मिलता है. जागरूक निवेशकों के लिए एनपीएस से ज्यादा बेहतर विकल्प मौजूद हैं. एनपीएस के मुकाबले म्युचुअल फंड्स और इक्विटी फंड्स में एसआईपी में ज्यादा मुनाफा मुमकिन है.